उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी अप्रैल 2017 मा आदेश दिहिस हवै कि खराब सड़कन के हालत 15 जून 2017 तक नीक होइ जाये का चाही। सड़कन मा बड़े–बड़े गढ्ढा हवै। उंई 15 जून तक भरे मिलै का चाही? सोचे वाली बात या हवै कि बुन्देलखण्ड के सड़कन के हालत तौ बहुतै खराब हवै। चाहे गांव के या राष्ट्रीयराज मार्ग होये। जउन काम बीस बरस मा नहीं होइ पावा वा काम डेढ़ महीना मा कसत सरकार करवा कसत हवै। सरकार के आदेश का पालन सड़कन के गढ्ढा बस भरे का काम होइ या नई सड़के भी बनिहैं?
मऊ कस्बा के मड़इन का कहब हवै कि कर्वी से मऊ के सड़क जउन राष्ट्रीयराज मार्ग आये वहिकर हालत बहुतै खराब हवैं। करोड़न रुपिया लगावै के बाद भी एक साल के भीतर सड़क खराब होइ जात हवै सरकार का चाही कि सड़क बनावै वाले ठेकेदारन का ट्रेन्डर दे के पहिले लिखित होय का चाही कि कम से कम सड़क पांच साल चलै का चाही! अगर बीच मा सड़क के हालत बिगड़त हवै तौ ठेकेदार या विभाग के ऊपर तुरतै कारवाही करै का चाही। कर्वी कस्बा के लोगन का कहब हवै कि जबै मुख्य सड़क खराब हवै तौ गांवन के सड़क कउन देखत हवै। सरकार आदेश तौ दइ देत हवै, पै वहिमा काम कसत होत हवै कउनौ मतलब नहीं आय। कर्वी बनकट से बधवइन सड़क बनत रहै पै ठेकेदार के मिली भगत से सड़क बनवाये मा खराब सामान लगावा जात रहै। मड़ई विरोध करिन तौ सांसद तक बात गें पै सब के मिली भगत से मामला शांत कइ दीन गा हवै। ठेकेदार तौ सीना तान के फेर से वहितान काम करत हवैं अगर इनतान केस मा तुरतै कारवाही होइ जाये तौ दुबारा इनतान का काम न होइ।
मड़ई कइयौ दरकी सड़कन का सुधरवावै खातिर विभाग मा भी जात हवै, पै अधिकारी आपन जिम्मेदारी दुसरे के ऊपर थोप के हाथ हिला देत हवै। समझ नहीं आवत की मड़ई शिकायत खातिर केहिके लगे जाये जेहिसे सुनवाई तुरतै होइ सकै, का यहिनतान मड़ई विभागन के चक्कर काट रही या उन कर सुनवाई कइ के सड़क भी बनी या सरकार का आदेश खाली चला जई अउर करोड़न रुपिया ठेकेदार के जेब मा जइ।
कसत होइ आदेश का पालन? सड़क आय या गढ़वा!
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