हर साल किसानो को सूखे और बारिश की मार झेलनी पड़ती है जिससे कर्ज के बोझ से दबे किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं। किसानों की आत्महत्याएं लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन सरकार मौन है और कोई ठोस कदम नही उठा रही है।
इस साल किसानों की बढ़ती आत्महत्याओं ने मजबूर कर दिया है कि किसान अपने हक के लिए सड़कों पर उतर आयें। पिछले कुछ महीनों से पूरे देश में किसानों के विरोध प्रदर्शन, जुलूस और आन्दोलन चल रहे हैं। इसी कड़ी में 31 जुलाई को लखनऊ के झूलेलाल पार्क में यूपी के हर जिले से किसानों ने आकर धरना दिया और अपना विरोध जताया।
जौनपुर की शीला पटेल का कहना है कि जिन किसानों के पास घर नहीं हैं उनके लिए सरकार को घर की व्यवस्था करनी चाहिये। जैसे कर्ज माफ़ी की बात कर रहे हैं वैसे ही किसानों को घर दिलाने की बात भी की जानी चाहिये।
जैसलवार जिले की मुन्नी विधवा हैं कुछ दिनों पहले ही उनके बेटे की भी मौत हो गई। इसके बाद उनके घर में उनकी विधवा बहु है। उनके पास खेत नहीं है और न ही रहने का कोई ठिकाना। वह सरकार से अपने लिए थोड़ी जमीन और सर ढकने के लिए एक छत मांग रही हैं।
वहीँ जौनपुर के राजनाथ यादव सरकार की आलोचना करते हुए कहते हैं कि आज़ादी के बाद ये पहली ऐसी सरकार है जिसने किसानों और गरीबों को मरने के लिए छोड़ दिया है। उन्हें सत्ता का लालच था जो उन्हें मिल गई और अब उन्हें किसी किसान, गरीब और मजदूर की चिंता नहीं है।
मुज्जफरनगर के अमरजीत को कर्ज माफ़ी के अलावा कई दूसरी शिकायतें भी हैं। वह चाहते हैं कि गांवों में फैले पड़े जर्जर बिजली के तारों को बदला जाये।
बिजनौर के चेतन कुमार का कहना है कि सरकार कर्ज माफ़ी कर रही है। वहीं दूसरी तरह किसान के जो बिल बकाया हैं उन्हें भी सरकार माफ़ करें। कम से कम सरकारी ट्यूबवेल का बिल तो माफ़ होना ही चाहिये।
बलरामपुर जिले की भोला देवी कहती हैं कि हमें कोई भी सरकारी योजना नहीं मिली है। न ही इंदरा आवास योजना के तहत घर मिले हैं न शौचालय हैं। सरकारी कागजों में सब हो सकता है लेकिन हमें कुछ नहीं मिला और हम यही मांग ले कर आये हैं।
किसानों का आरोप है कि सरकार चुनाव से पहले तो बड़ी–बड़ी घोषणाएं कर देती हैं कि हमारी सरकार बनने पर किसानों के सभी प्रकार के कर्जे माफ कर दिए जायेंगे और बिना ब्याज के खेती पर ऋण दिया जायेगा लेकिन चुनाव जीतने के बाद सरकार किसानों के प्रति लापरवाह हो जाती है। हम लोग चाहते हैं कि सरकार अपने कहे को पूरा करे और किसानो के सभी कर्जे माफ किये जाये।
किसान यूनियन मंडल के उपाध्यक्ष राजेश सिंह का कहना है कि सरकार को किसानों का सभी कर्ज माफ़ करना चाहिये क्योंकि उन्होंने चुनावों के समय किसानों को इस बात का भरोसा दिलाया था कि उन पर लगा हर कर्ज माफ़ कर दिया जायेगा। लेकिन अब जब कर्ज माफ़ी की बात की जाती है तब सरकार कहीं बीस हजार कर्ज माफ़ी की बात करती है तो कहीं 1 लाख तक के कर्ज को माफ़ करने को कहती है।
किसान यूनियन के राष्ट्रिय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने इस मौके पर कहा कि हम सरकार से बात करना चाहते हैं। किसानों की कई समस्याएं हैं। सिर्फ कर्ज माफ़ी ही नहीं बल्कि बिजली, पानी, आवास, आलू, गन्ना आदि कई बड़ी समस्याएं हैं जिन पर सरकार से हमें विचार–विमर्श करना है।
रिपोर्टर- नसरीन
Published on Aug 1, 2017