जिला बांदा, शहर बांदा छत्तीसगढ़ शहर के रहैं वाली शांती अउर निशा बांदा जिला मा जघा जघा खेल देखावंै का काम करत हैं। या खेल देखा के अपने परिवार वालेन का पेट भरत हैं।
खेल देखावै वाली शान्ती का कहब है कि हम लोग खेल देखाइत हन। या खेल देखावै का काम पुरखन के जमाने से होत है। खेल देखावै खातिर टाउन एरिया,जिला अउर गाव मा जइत हन। खेल देखावै के अलावा हमरे खतिर अउर कउनौ दूसर काम भी निहाय। खेल देखावै के कारन हमार पढ़ाई भी नही होइ पावत है। अगर एक दिन खेल ना देखाई तौ वा दिन हमरे घर मा चूल्हा तक नहीं जल पावत है।
निशा का कहब है कि हमार काम बहुतै मेहनत का है। या खेल पहिले हम लोग सीखत है। या खेल सीखै मा बहुतै समस्या होत है। शुरु मा तौ बहुतै समस्यन का सामना करत रहै। काहे से कि रस्सी मा चलै का परत है। जबै से खेल बनै लाग है तबै से थोइ समस्या खतम होइगे है। खेल देखावै के समय हमका सांस बहुतै देर तक रोकै का परत है। यहिसे हांफी आवै लागत है। हमरे परिवार मा या समय कुल बारह लोग हैं। उनका सबहिन का खर्चा यहै से चलत है।
खेल देखावै वाली शान्ती का कहब है कि हम लोग खेल देखाइत हन। या खेल देखावै का काम पुरखन के जमाने से होत है। खेल देखावै खातिर टाउन एरिया,जिला अउर गाव मा जइत हन। खेल देखावै के अलावा हमरे खतिर अउर कउनौ दूसर काम भी निहाय। खेल देखावै के कारन हमार पढ़ाई भी नही होइ पावत है। अगर एक दिन खेल ना देखाई तौ वा दिन हमरे घर मा चूल्हा तक नहीं जल पावत है।
निशा का कहब है कि हमार काम बहुतै मेहनत का है। या खेल पहिले हम लोग सीखत है। या खेल सीखै मा बहुतै समस्या होत है। शुरु मा तौ बहुतै समस्यन का सामना करत रहै। काहे से कि रस्सी मा चलै का परत है। जबै से खेल बनै लाग है तबै से थोइ समस्या खतम होइगे है। खेल देखावै के समय हमका सांस बहुतै देर तक रोकै का परत है। यहिसे हांफी आवै लागत है। हमरे परिवार मा या समय कुल बारह लोग हैं। उनका सबहिन का खर्चा यहै से चलत है।
रिपोर्टर- गीता
10/08/2016 को प्रकाशित
करतब दिखाने वाली निशा और शांति पहुंचीं बाँदा
सांस रोककर देखिये इनका करतब