निर्देशक: अजय देवगन
कलाकार: अजय देवगन, एरिका कार
बर्फीले पहाड़ों पर पर्यटकों और सैनिकों की मदद करता है शिवाय (अजय देवगन)। एक दिन एक विदेशी लड़की से उसे प्यार हो जाता है। लड़का-लड़की मिलते हैं और लड़की गर्भवती हो जाती है। वही घिसी-पीटी कहानी। फिर शिवाय को बच्चा चाहिए लड़की को नहीं। दोनों में तकरार। बच्ची जो पैदा होती है, वे बोल नहीं सकती। पिता एक बेटी को बिछड़ी मां से मिलाने बुलगारिया लेकर जाता है और एक ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाता है जिससे निकलना मुश्किल होता है। फिर खत्म न होने वाली भाग दौड़ शुरू होती है। कहानी यहां-वहां भागती है और अगर कुछ रह जाता है तो वह है अजय देवगन का ऐक्शन। न तो अच्छे संवाद है और न ही अच्छी कहानी।
अजय देवगन अच्छे कलाकार हैं लेकिन इस फ़िल्म में उन्होंने सिर्फ दिखावा किया है जो फ़िल्म को उबाऊ बना देता है। फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसके इंटरवल के बाद का हिस्सा है जो फ़िल्म को दिशाहीन बना देती है और आप सोचते रह जाते हो कि कब, कैसे, कौन सी घटना कैसे हो गई।
जो लोग अजय देवगन को पसंद करते हैं और उनके एक्शन को देखना चाहते हैं वह फ़िल्म देखने जा सकते हैं।
रिपोर्ट- खबर लहिरया ब्यूरो