बुन्देलखण्ड में पानी की समस्या आाम जनता खे लाने मुश्बित बन गई हे। हर मौसम में चाहे गर्मी होय जा सर्दी ओर बरसात। महोबा जिला ऊसे तो तालाबन खे बोहतई प्रसिद्ध हे, पे पहाड़ी इलाका होंय के कारन हर महीना में आदमी पिये पानी खा बूंद-बूंद के लाने भटकत हे। ई साल के सूखा ने पशु पक्षी ओर जनता खा झगझोर के धर दओ हे। विभाग के आकड़ा तो पन्द्रह हजार हैण्डपम्प बताउत हे। पे गांव मे जाके देखो जाये तो कोनऊ ओर बात हे। हैण्डपम्प बिगरो परो हे, कोनऊ मे पानी नई निकरत हे। अगर टंकी बनी हे तो ऊमें सप्लाई नई होत हे। पानी के समस्या दूर करें के लाने 2013 मे सरकार ने ,जल सोधन यंत्र, के तहत ग्यारह करोड़ रूपइया भेजो हतो। 2012 मे जिला के पनवाड़ी ओर चरखारी ब्लाक खा डार्क जोन घोषित करो हतो, जीसे पानी खा इक्कट्ठा करो जा सके। पे परिणाम शून्य हे। गांव की जनता आपन समस्या प्रधान से कहत हे तो प्रधान हां कहके टार देत हे। जनता समस्या दूर होंय को इन्तजार करत रहत हे। ई बात पे कोनऊ ध्यान नई दओ जात हे की जानता पे का बीतत हे। ऊ केसे आपन ओर आपने जानवारन की प्यास बुझाउत हे। सवाल जा उठत हे की जोन सरकार बजट भेजत हे ऊ आकड़ा ओर रजिस्ट्रर में लिखे खे जा जनता की सुविध के लाने? अगर जानता के लाने तो ऊखो उपयोग काय नई होत हे। सरकार ईखे लाने कोनऊ ठोस कदम काय नईं उठाउत हे। बजट खत्म हो गओ ओर समस्या जेसी की तेसी बनी हे। सरकार खा अपने कर्मचारियन से ई बात को जवाब लेय खा चाही? जा समस्या दूर करें की जिम्मेंदारी कीखी आय?
कभे हो हे पानी की समस्या दूर
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