बुन्देलखण्ड के हर गांवन में कोनऊ-कोनऊ योजना योजना के तहत सरकार बिजली देय खा कहत हे। पे आज भी महोबा जिला के केऊ एसे गांव हे जिते आदमी बिजली के उजियारे खा तरसत हेे। जा बात तो विभाग कर्मचारी अच्छे से जानत हे।
ताजा उदाहारण कबरई ब्लाक के सुरहा गांव ओर सिजहरी गांव मे आधे में बिजली नइयां। जभे की सिजहरी में खम्भा भी परे हे। जैतपुर ब्लाक के थुरट गांव में तीन महिना से खम्भा में डी.पी. नई धरी जात हे। आदमी कनेक्सन लेय के बाद भी अधियारे में रहे खा मजबूर हे। जीसे आदमियन ने दरखास दई हे। सोचे वाली बात तो जा हे कि सरकार चैबीस घण्टा ओर अड़तालिस घण्टा बिजली देय खा कहत हे। का जा बात पूरी हो पेहे। काय से कबरई कस्बा में शाम आठ बिजली जात हे ऊखे बाद बारह बजे आउत हे। एसी गर्मी में आदमियन की नींद हराम हो जात हे। एक तो उत्ती समय आदमियन को घर को काम होत हे दूसर बात आदमी मजदूरी करके आउत हे। अगर विभाग में बात करी जात हे तो सीधे जवाब मिलत हे कि अभे बजट नइयां। जा फिर यिम हे कहत हे। बड़े-बड़े नेता मंत्री तो एक घण्टा गर्मी में नई रह सकत हे। ए.सी. कूलर ओर पंखा दिन रात चलत हे।
एते तक की अगर ऊ घर में कोनऊ जानवर हे तो ऊखे भी हवा मे बिठाहे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुन्देलपण्ड पैकेज के तहत हर गांव में बिजली ओर पानी की सुविधा करे खे लाने कड़ोरन रूपइया खर्च करो हे। पे एई दो चीजन की ज्यादा मारा मारी मचत हे।