नई दिल्ली। देश में शिक्षा का बुरा हाल है। खासतौर पर ग्रामीण भारत की स्थिति बिगड़ती जा रही है। ग्रामीण भारत की स्कूली शिक्षा पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्था प्रथम ने एक सालाना रिपोर्ट असर 13 जनवरी को जारी की।
सामने आए चैंकाने वाले आंकड़े
कक्षा आठवीं के पच्चीस प्रतिशत बच्चे दूसरी कक्षा में चलने वाली किताबों का पाठ भी नहीं पढ़ पाते हैं।
सरकारी स्कूलों के स्तर में लगातार गिरावट आई है। जबकि निजी स्कूल गुणवत्ता और सुविधाओं के लिहा।ज से फिर भी बेहतर रहे।
गणित में फिसड्डी
देश के बच्चे फिसड्डी हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान में आठवीं के बच्चे बिल्कुल सरल गुणा, भाग के सवाल हल नहीं कर पाए, बाईस से तैंतीस प्रतिशत बच्चे सौ तक गिनती नहीं गिन पाए।
कब सुधरेगा शिक्षा का स्तर?
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