‘माना जाता है कि नाचना औरतों की कला है, जबकि हमारे देश में कई ऐसे पुरुष हैं जिन्हें बचपन से ही नाचना अच्छा लगता था। लेकिन जब उन्होंने यह इच्छा घर में जाहिर की तो उन्हें दुतकार दिया गया। यह एक खतरनाक सच है कि भारत में पुरुष डांसर लगभग विलुप्त हो चुकी किसी प्रजाति की तरह खत्म होने की कगार पर हैं।’ – सितारा देवी
दिल तक दस्तक देने वाली पैरों की थाप पर खनकते घुंघरुओं की धुन पर थिरकने वाली कथककार सितारा देवी का निधन 25 नवंबर को हो गया। वह चैरानवे साल की थीं। उनके पढ़ने के इच्छा के चलते उनकी शादी ज्यादा साल नहीं चली। उन्होंने स्कूल के एक कार्यक्रम में बतौर डांसर के रूप में हिस्सा लिया। सितारा देवी ने कहा खुद भी मुझे पहली बार पता चला कि मैं एक डांसर हूं।