चेन्नई। चेन्नई ने बाढ़ झेली। लोग अब उससे उभर रहे हैं। यहां राहत भी पहुंची। गैर सरकारी और सरकारी तंत्र ने राहत पहुंचाने का काम किया। मगर तमिलनाडु के कडलोर जि़ले की तरफ सरकार का ध्यान आधा अधूरा ही दिख रहा है। गैर सरकारी संगठनों की तरफ से भी यहां खास राहत नहीं पहुंच रही। यहां के लोग पिछले एक महीने से बारिश और बाढ़ झेल रहे हैं।
इससे पहले कडलोर जि़ले ने 2004 में भी सुनामी को झेला था। लेकिन पिछले एक महीने से कडलोर के निवासी बारिश के बढ़ते हुए पानी से बेहाल हैं।
मलरकोडाई एक राहत शिविर में तीन हफ्ते से रह रही हैं। उन्होंने कहा बताया कि ‘कब तक मदद के खाने पर काम चलेगा। हमारा सब बर्बाद हो गया है। कहीं जाने लायक नहीं बचे। कैम्पों में रहने वालों के पास कपड़े तक नहीं हैं। भारी सर्दी में हम करें तो क्या करें! खाने की कमी है। छोटे बच्चों और बुजुर्गों के हालात बदतर हैं।’
कडलोर शहर में शायद ही कोई इलाका बचा है जहां बाढ़ के हालात न हों।
स्थिति इतनी बदतर है कि 7 नवंबर को कुछ लोगों ने शहर के कई हिस्सों में राहत सामग्री तक लूट ली और अब हर राहत सामग्री के साथ पुलिस का पहरा है।
कुडलम, चिदंबरम और नेलिकुप्पम जैसे इलाको में अब भी इतना पानी भरा है कि पैदल या गाड़ी के ज़रिए भी सड़क या मैदान पार करना मुश्किल है। पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के शैक्षिक दस्तावेज़ खो चुके हैं।
जि़ला कलेक्टर सुरेश कुमार ने बताया कि अट्ठाइस दिनों से हम सब मिलकर इस मुसीबत से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। कुल दो सौ दस गांव इस बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें से छब्बीस गांव पूरी तरह से डूब चुके हैं। करीब बयालिस हज़ार लोगों को सत्तर से ज़्यादा राहत कैम्पों में जगह दी जा रही है। पूरे इलाके में बाढ़ और बारिश के चलते होने वाली मौतों की संख्या पचास से ज़्यादा पहुंच गई है। और इससे भी ज़्यादा लोग लापता हैं।
कडलोर के हालात और भी बदतर
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