जहां जनगणना घर-घर जाके होई छई त लोग के नाम में गलती अउर गड़वड़ी कईसे होई छई। लोग सरकारी काम पर विश्वास कयला न करई छई? कारण लोग ऐकर व्यवस्था जनई छथिन।
जनगणना दस साल में एक बेर होई छई। ओकरो लोग सही से न करई छथिन। एक जगह बईठ के सब के नाम जोड़वा देई छथिन। जेकर नतिजा देखे के मिलई छई कि केकरो नाम जुटल, केकरो छुट गेल। अनठेकानीये नाम जोड़वावे के कारण पति के नाम कुछ त पत्नि के नाम कुछ रहई छई। परिवार के सदस्य सब के संख्या देवे में कम बेस रहई छई। जेकर नतीजा देखे के मिलई छई कि जेकर जनगणना सही भेल उनका त सुविधा के लाभ मिलल। जेकर छुट गेल उ पांच साल के लेल सरकारी सुविधा से वंचित रह जाई छई। ऐहन समस्या गांव में ज्यादातर गरीब मजदूर के साथ देखे के मिलई छई। कारण कि उ लोग अपना-अपना काम में लागल रहई छई। कोई सरकारी काम भेल त जानकारी मिलल त ओई जगह पर गेल। जेकरा जानकारी न मिलल उनका साथ हमेशा कुछ न कुछ गरबरी रहई छई।
सरकारी काम करे वाला के ट्रेनिंग में बतायल जाई छई कि घरे-घरे जाके जनगणना करेला। लेकिन अपना सुविधा के लेल एक जगह बईठ के अपन काम क लेई छथिन। जेकर नतीजा गरीब के भुगते परई छई। 2013 में भी जनगणना तीन बेर भेल तईयो बहुत जगह गांव टोला पुरा-पुरा छुट गेल हई।
सरकारी कर्म चारी से लेके गांव के लोग अपन-अपन काम सही से करथिन त इ समस्या न देखे या सुने के परतई।
कईसे होई छई गलती?
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