जिला वाराणसी, ब्लाक चिरईगावं, गावं नरपतपुर। इहां के मुसलमान बस्ती में लगभीग पचास घर हव। लेकिन अभहीं तक एक भी आवास नाहीं मिलल हव। प्रधान कभी भी आवास खातिर के नाहीं सोचलन।
सलमा इ लोगन के कहब हव कि हम लोगन के रहे खातिर के घर नाहीं हव। लेकिन अभहीं तक हमने के आवास नाहीं मिलल हव। इहां हमने बीस साल से रहल जाला। लेकिन कउनों सुनवाई नाहीं होला। प्रधान से जब भी कहल जाई प्रधान खाली हां करलन। अब हमने अइसे कइसे बितावल जाई। जाड़ा गर्मी बीत जाई लेकिन बरसात बीरतब मुश्किल हो जाला। कउनों भी सामान सही से नाहीं बचत। पानी के मारे सब भीग जाला। नुकसान भी हो जाला। अब हमने के पास एतना पइसा नाहीं हव कि घर बनवावल जाई। हमने कमायल जाला त खाए भर के होला। त घर कइसे बनवावल जाई। अगर एक ठे आवास मिल जाए त कुछ गुजारा हो जाय।
एकरे बारे में प्रधान दूधनाथ के कहब हव कि ए समय आवास नाहीं आवत हव।
कइसे करल जाई गुजारा
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