नई दिल्ली। दलित लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकी की 17 नवंबर 2013 को मौत हो गई। देहरादून के एक अस्पताल में लीवर के कैंसर का इलाज करा रहे थे। वाल्मीकी तिरसठ साल के थे।
ओमप्रकाश वाल्मिकी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पैदा हुए। दलित होने के कारण बचपन से ही उन्होंने जातिगत भेदभाव झेला था। खुद और आसपास के अनुभवों को अपनी आत्मकथा ‘जूठन’ के ज़रिए 1997 में लोगों के सामने लाए। ये उपन्यास इतना चर्चित हुआ कि इसका अनुवाद अंग्रेजी समेत कई अन्य भाषाओं में हुआ।
साहित्य जगत की चर्चित पत्रिका ‘हंस’ से इन्होंने शुरुआत 1992 में की थी। इन्होंने कविताएं भी लिखीं। 1989 में ‘सदियों का संताप’, 1997 में ‘बस बहुत हो चुका’ और 2009 में ‘अब और नहीं’ शीर्षक से प्रकाशित हुई कविताएं काफी लोकप्रिय हुईं। उन्होंने वाल्मीकि समाज के उत्पीड़न, शोषण और भेदभाव को उजागर किया।
नीचे ओम प्रकाश वाल्मीकी की एक चर्चित कविता ‘तब तुम क्या करोगे’ दी जा रही है।
ओमप्रकाश वाल्मीकि
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