सरकार गरीब लोग के लेल राशन कार्ड बनबई छथिन। ताकि गरीब के कुछ सहयोग मिले। लेकिन अबकि बेर जे राशन कार्ड वितरण होई छई ओई पर पांच किलो राशन एक आदमी के देल जतई।
अबकी बेर के राशन कार्ड में बहुत लोग के नाम गलत हई, त केतेक लोग के कार्ड न मिललई। कारण हई कि इ राशन कार्ड आर्थिक, जातिये अउर सामाजिक जनगणना के आधार पर बनलईह। लेकिन पिछला पिला वाला कार्ड पर ही राशन देल जतई। जेकर नया कार्ड बनलई ओई पर पांच किलो राशन सब महीना में एक आदमी के देवे के हई। कि पांच किलो राशन ही एक आदमी एक महीना में खाई छथिन? ओहु में अट्ठारह वर्ष से कम उमर वाला बच्चा के राशन न मिलतई। जेकर उमर अट्ठारह वर्ष से उपर होतई उनका सब के राशन जोड़ के मिलतई। नियम हई कि छोट बच्चा के विद्यालय अउर आंगनवाड़ी केन्द्र पर पढ़े जाई छई त उहां पोषाहार देल जाई छई। अगर विद्यालय या केन्द्र पर पढ़े जाई छई त कि सब दिन खाना बनवो करई छई त एक बेर पोषाहार मिलला से बच्चा भर दिन रह जतई? इबात कोन न जनई छथि मीनू के हिसाब से स्कूल या आंगनवाडी केन्द्र पर मीनू के आधार से पोषाहार देवे के हई। लेकिन मिलई छई कहां?
अगर इ नियम लागू भेलई ह त केतना बच्चा विद्यालय अउर आंगनवाड़ी केन्द्र पर पढ़े जाई छई, की ओकर दिन पोषाहार से बीत जतई? जेकरा घर में चार-पांच बच्चा होतई त उ गरीब परिवार के कि हाल होतई? इ नियम से कोन फायदा? जेकरा नाम से कार्ड मिललईह त ओकरा कुछों त सहयोग के आशा हई। लेकिन जेकरा नाम से कार्डे न बन के अलईह ओकरा त कोई आशे न हई।
ऐई कार्ड पर केतना लोग के सुविधा?
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