उत्तर भारत, खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में, ऐंसेफिनाइटस या दिमागी बुखार बच्चों के लिए जानलेवा बीमारी बन गई है। 2014 में अकेले बिहार में दो सौ से ज़्यादा बच्चे इस बीमारी का शिकार हुए और उन्हें बचाया नहीं जा सका। वैज्ञानिक कई सालों इस बीमारी का तोड़ नहीं ढूंढ पाए हैं। एक नए शोध में अब निकलकर आया है कि जिन बच्चों को ये बीमारी हो चुकी है, उनके दिमाग पर इसका असर जीवन भर के लिए हो सकता है।
शोध कर रहे डाक्टर सी.एम. सिंह ने बताया कि अब तक ज़्यादातर लोग दिमागी बुखार कैसे फैलता है, इस पर जानकारी बटोर रहे थे। ये पहली बार है कि उन लोगों की जांच की जा रही है जो बीमारी के मरीज़ थे और अब ठीक हो चुके हैं। डाक्टर सिंह ने समझाया कि मरीज़ों की स्थिति पर नज़र रखना ज़रूरी है। अगर दिमागी बुखार ठीक होने के बाद शरीर पूरी तरह से स्वस्थ नहीं होता है तो सरकार को इसके लिए नए सिरे से सोचना होगा।
माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के निकलने के बाद सरकार पर लोगों के लिए उपचार ढंढने का दबाव बढ़ेगा।
ऐंसेफिलाइटस पर नई जानकारी
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