एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में मुकदमा दर्ज किए जाने के एक दिन बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) कार्यकर्ताओं ने बड़ा प्रदर्शन किया और उन लोगों को गिरफ्तार करने की मांग की, जिन्होंने कश्मीर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारत और सेना विरोधी नारे लगाए।
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया मानव अधिकारों पर काम करने वाली संस्था है। कश्मीर और वहां हो रही हिंसा एक संवेदनशील मुद्दा है जिसपर हाल ही में संसद में भी खूब बहस छिड़ी थी। कश्मीर के मुद्दे पर एमनेस्टी ने स्वतन्त्रता दिवस के पहले ‘मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों’ के लिए न्याय मांगने की खातिर कार्यक्रम का आयोजन किया था। कार्यक्रम ने उस समय एक अलग मोड़ ले लिया, जब कथित तौर पर भारत विरोधी और सेना विरोधी नारे लगाए गए, तब वहां मौजूद दूसरे संगठन ने भारत माता की जय के नारे लगाए। हिंसा और माहौल बिगड़ने के डर से तब पुलिस ने कार्यक्रम को रुकवा दिया।
इस बारे में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि ‘वे कश्मीर में मानव अधिकारों के हनन से पीड़ित परिवारों की दास्तानों को सुने जाने से रोक रहे थे तथा गैर सरकारी संगठनों को इन परिवारों की मदद करने से रोक रहे हैं जिसकी वजह से यह परिवार अपने न्याय के सांविधानिक अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।
एमनेस्टी का मानना है कि भारत का प्रत्येक नागरिक मानव अधिकारों का लाभ उठा सके। उनका कहना है कि किसी भी राजनैतिक, आर्थिक अथवा वैचारिक दृष्टिकोण से उनका कोई वास्ता नहीं है।