एनसीईआरटी की 12वीं क्लास में राजनीति शास्त्र की पुस्तक पढ़ाई जा रही है, जिसमें इंदिरा, इमरजेंसी, अयोध्या से लेकर मोदी तक के बारे में लिखा गया है।
खास बात यह है कि किताब में बताया गया है कि दिसंबर 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ध्वंस का विवाद हुआ था। इसी दौरान देश में राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता पर बहस तेज हुई थी। इन बदलावों का संबंध भाजपा के उदय और हिंदुत्व की राजनीति से भी जोड़ा गया है।
वहीं, भाजपा के उदय और कांग्रेस के पतन पर फोकस किया गया है। राजनीति शास्त्र की किताब स्वतंत्र भारत में राजनीति-2 के अध्याय 9 में बताया है कि 1986 में ऐसी दो बातें हुईं, जो एक हिन्दुवादी पार्टी के रूप में भाजपा की राजनीति के लिहाज से प्रधान हो गई।
पहली बात 1985 के शाहबानो केस और दूसरी बात 1986 में बाबरी मस्जिद के आहाते का ताला खोलने का अदालती फैसला।
किताब में अधिकतर दलों ने मस्जिद के विध्वंस की निंदा की और इसे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के विपरीत बताया।
किताब में जहां आपातकाल को सही बताया गया है वही गुजरात दंगों को लेकर आलोचना की गई है।