राजनीतिक पार्टियों के चंदों पर नजर रखने वाली संस्था एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, देश के राजनीतिक दलों की कमाई का 70 प्रतिशत हिस्सा अघोषित स्रोतों से आता हैं जिसकी जानकारी राजनीतिक दल चुनाव आयोग और आयकर विभाग को नहीं देते हैं।
कानून के अनुसार, राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में 20 हजार से कम के चंदे को घोषित करने से छूट मिली हुई है।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, राजनीतिक दलों की कुल घोषित आय ग्यारह हज़ार तीन सौ करोड़ के आस पास बताई गई है जिसमें से सात हज़ार आठ सौ बत्तीस करोड़ रुपए की आय का जरिया अघोषित है। इतना ही नहीं, अधिकतर क्षेत्रीय पार्टियों ने 2004-05 से अपने चंदे की रिपोर्ट ही जमा नहीं की है।
बता दें कि एडीआर ने ये रिपोर्ट 2004-05 से लेकर साल 2014-15 के बीच राजनीतिक दलों को मिले चंदे, चुनाव आयोग और आयकर विभाग को जमा की गई रिपोर्ट के आधार पर बनाई है।
रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी को इस दौरान कुल दो हज़ार एक सौ पच्चीस करोड़ रुपए का चंदा मिला जिसका 65 फीसदी हिस्सा अघोषित आय से आया है। रिपोर्ट में कांग्रेस का दामन भी साफ नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस की कुल आय का 83 फीसदी हिस्सा अघोषित जरिए से आया है।
समाजवादी पार्टी को मिले चंदे का 94 फीसदी और अकाली दल को मिले चंदे की 86 फीसदी आय अघोषित स्रोतों से जमा हुई है। रिपोर्ट में घोषित स्रोतों से जमा राजनीतिक दलों की कुल घोषित आय 1,835.63 करोड़ रही जो उनकी कुल कमाई का महज 16 फीसदी है।
इतना ही नहीं 51 क्षेत्रीय पार्टियों में से 45 पार्टियों ने तो चुनाव आयोग को अपने चंदे का ब्यौरा ही नहीं दिया है। एडीआर के आंकड़े कहते हैं कि राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की अघोषित आय 2004-05 में 274.13 करोड़ थी जो कि साल 2014-15 में 313 फीसदी बढ़कर 1130.92 करोड़ हो गई। वहीं क्षेत्रीय पार्टियों की कमाई में 652 फीसदी का इजाफा हुआ है।