जिला सीतामढ़ी के रीगा प्रखण्ड में चार्म संस्था अप्रैल 2012 से चल रही है। इसके तहत चल रहे सेव द चिल्ड्रेन नाम के प्रोजेक्ट के जरिए कुपोषण, सुरक्षित प्रसव की जानकारी देने के साथ आंगनवाड़ी, ए.एन.एम. और आशा को ट्रेनिंग दी जाती है। संस्था रीगा की छह पंचायतों में काम करती है।
यहां सेव द चिल्ड्रेन के जिला कॉडिनेटर असीम मंडल का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधा मज़बूत करने के लिए क्षेत्र चुना जाता है। जब यहां इस संस्था ने काम शुरू किया था, उस समय बिहार में कुपोषित बच्चों की संख्या लगभग अट्ठावन प्रतिशत थी जिसमें केवल सीतामढ़ी में ही बावन प्रतिशत बच्चों में कुपोषण था। शुरू में यहां संस्थागत डिलिवरी उनचास प्रतिशत थी और अब अट्ठावन प्रतिशत है। सेव द चिल्ड्रन के कर्मचारी कुपोषित बच्चों को एन.आर.सी. लाने के लिए आशा, ए.एन.एम. और सेविका को प्रोत्साहित करते हैं। एम्बुलेंस की सुविधा पाने के लिए भी संस्था मदद करती है।