जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक दलित शोधार्थी मुथुकृष्णनन जीवानंदम उर्फ ने 13 मार्च को कथित रूप से आत्महत्या कर ली। मौत से पहले उसने अपनी फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट लिखकर यूनिवर्सिटी प्रशासन पर भेदभाव के आरोप लगाए।
रजनी के परिवार का कहना है कि कृष आत्महत्या नहीं कर सकता। उसकी हत्या हुई है। परिवार मामले की सीबीआई जांच कराने और उचित मुआवजा देने की मांग कर रहा है। कृष के साथी भी इंसाफ की मांग कर रहे हैं। इस मामले को लेकर कई दलित और वामपंथी संगठन भी एकजुट नजर आ रहे हैं।
13 मार्चकी शाम करीब पांच बजे मुनिरका विहार के एक घर में जेएनयू के छात्र रजनी कृष का शव बरामद हुआ। यह घर कृष के दोस्त गोमेन किम का है जहां वह अपने दो दोस्तों के साथ खाना खाने आया था। पुलिस के मुताबिक खाने के बाद कृष एक कमरे में गया। जब काफी देर तक वह बाहर नहीं आया तो उसके दोस्तों ने कमरे में जाकर देखा। वहां उसका शव पंखे से लटका मिला।
दक्षिण दिल्ली के डीसीपी ईश्वर सिंह के मुताबिक जिस कमरे में कृष लटका हुआ पाया गया उसकी जांच हुई लेकिन उसमें कोई आत्महत्यानोट नहीं मिला। कमरे को फिलहाल सील कर दिया गया है।
मौत से कुछ दिन पहले यानि 10 मार्च को कृष ने अपनी फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट लिखा था- ‘अगर समानता नहीं है तो कुछ भी नहीं है। एमफिल और पीएचडी एडमिशन में कोई बराबरी नहीं है। वायवा में बराबरी नहीं है, केवल समानता का ढोंग होता है। प्रशासनिक भवन में छात्रों को प्रदर्शन नहीं करने दिया जाता है। हाशिए के लोगों के लिए शिक्षा की बराबरी नहीं है।’
तमिलनाडु के सेलम का निवासी कृष जेएनयू से एमफिल कर रहा था। वह पांच माह पहले ही दिल्ली आया था। वह रोहित वेमुला और नजीब को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों में भी शामिल हुआ था। कृष इससे पहले हैदराबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ता था और रोहित वेमुला का अच्छा दोस्त भी था।