जिला अम्बेडकरनगर, गांव जैतपुर निधियावां छोट परिवार सुखी परिवार, या हम दो हमारे दो जैसे नारा बनाय के नसबंदी कीन जाथै।लकिन परेशानी कै बात ई बाय कि येहि हर साल दर्जनों नसबंदी फेल हुवत बाय। जेसे मेहरारून मानसिक तनाव झेलत अहै।जिला अम्बेडकरनगर, गांव जैतपुर निधियावां छोट परिवार सुखी परिवार, या हम दो हमारे दो जैसे नारा बनाय के नसबंदी कीन जाथै।लकिन परेशानी कै बात ई बाय कि येहि हर साल दर्जनों नसबंदी फेल हुवत बाय। जेसे मेहरारून मानसिक तनाव झेलत अहै। अम्बेडकरनगर मा ऐसा ही मामला सामने आय बाय। जहाँ पांच महीना पहिले नौ फरवरी का अन्तिमा नाम के मेहरारु कै नसबंदी भए। वक्रे बाद वै फिर से गर्भवती होय गई। अन्तिमा कै कहब बाय की टांका लागै के वजह से पहिले जांच करावै नाय जाय पायन। आवै जाय मा दिक्कत रही। खून जांच करायन तौ पहिले दस प्वाइंट खून रहा अब छह दशमलव तीन प्वाइंट खून बाय। ए.एन.एम बताये अहैं की हरी साग सब्जी अउर चुकंदर खा खून कै बढ़ोतरी होये। अन्तिमा कै कहब बाय कि तीन गेदहरा पहिले रहे हम सोचेन ऑपरेशन कराय ली। मजदूरी कइके जीवन यापन कीन जाथै। न खेती बाय न नौकरी। छोट परिवार रहे ठीक रहे लकिन नसबंदी के बादौ ई समस्या आय गए। अब वकै देखभाल कैसे करब या तौ जिम्मेदारी लियै या फिर पालन-पोषण कै खर्चा दियै जेसे हम पालन-पोषण कै सकी।अगर खुदा न खास्ता कुछ होय जाय या हम मरि जाई तौ उनकै देखभाल के करे। यतना टांका मा दर्द हुवाथै की जैसे जैसे बच्चा बड़ा हुवत बाय हमार उठब बैठब दुश्वार भा बाय।आशा कै जिम्मेदारी हुआथै की वै हर दिन मरीज कै जाय के हाल चाल लियै पर हमरे हियां कै आशा कबहूँ पूछिन नाय की तबियत केस बाय केस नाय। जबसे नसबंदी भए तबसे देखै तक नाय आई। न कबहू कहिन की चला डाक्टर का देखाय आई। अन्तिमा कै आरोप बाय की हम दुई तीन बार आशा का बुलावै गयन लकिन आज कल करे रहिन साथे नाय गई।वकरे बाद अकेलै गए रहीं।येही तरह से अगर आशा कार्यकर्ता मरीजन के साथे करिहें तौ मरीजन कै काव होये। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर मोहिबुल्लाह कै कहब बाय कि अल्ट्रासाउंड कै फोटोकापी, अप्लिकेशन अउर नसबंदी प्रमाण पत्र बिभाग मा जमा करै जांच कराय के बाद कार्यवाही होये।
रिपोर्टर- प्रियंका
Published on Jul 27, 2017