जितना ज़रूरी शायद आजकल की दुनिया में लोगों के लिए उनका मोबाइल फोन है, उतना ज़रूरी एक ज़माने में था रेडियो सेट। घर घर में टी.वी. लगने के पहले, लोग घंटों रेडियो पर गाने, कार्यक्रम, खबरें और क्रिकेट की कमेंटरी सुना करते थे। आज, टी.वी. की चकाचैंध भी रेडियो सुनने वालों को रोक नहीं पाई। अब चलते फिरते, काम करते लोग अपने फोन पर रेडियो सुना करते हैं।
भारत में आकाशवाणी की शुरुआत 1936 में हुई। उस समय रेडियो पर कार्यक्रम और खबरें सुनाने वालों को अनाउंसर कहा जाता था। इतने सालों में कई ऐसे अनाउंसर आए जिनकी आवाज़ उनकी पहचान बन गई और सुनने वालों से उनकी आवाज़ का खास रिश्ता बन गया। इन्हीं लोगों ने ऐतिहासिक खबरों को लाखों सुनने वालों तक पहुंचाया। अट्ठासी साल के आर.एस. वेंकटरमन ने रेडियो पर देश की आज़ादी की खबर पहली बार 15 अगस्त 1947 को तमिल नाड राज्य के सुनने वालों तक पहुंचाई। 1963 में लखनऊ में आकाशवाणी शुरू किया गया और पहले शब्द बोलने वाली थीं फारुख जाफर। रेडियो एक ऐसा माध्यम साबित हुआ है जिसकी लोकप्रियता इतने सालों में बरकरार है।
एक ज़माने में था सबका दोस्त
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