जनता तौ सरकार के नये-नये नियम कानून से परेशान होइ गें हवै। पहिले नोट बंदी,फेर जी,एस,टी लागू अब सिक्का बंदी से आम जनता अउर ब्यापारी बहुतै परेशान हवैं। पिछले दुइ महीना से मड़ई एक दुइ का सिक्क्न का लइके बहुतै परेशान हवैं। ग्राहक सामान लें जात हवैं तौ दुकानदार कहत हवैं कि नोट लइके आव हम सिक्का ना लेवै।या बात से मड़इन मा लड़ाई तक होइ जात हवै। या मामला का निपटावै खातिर डी.एम अउर बैंक मैनेजर से भी कहा गा पै।कुछ कारवाही नहीं होत आये। सिक्कन का लइके रोज लड़ाई झगड़ा तक होइ जात हवै। इलाहाबाद अउर मऊ से कर्वी जाये वाले मड़इन का कहब हवै कि बस वाले सिक्का लेत नहीं आहीं बल्की सवारिन का दइ देत हवैं। हम पचे कहां चलई ?अगर नहीं लेइत तौ कंडेक्टर कहत हवैं कि जउन करै का होय तौ कइ लेव। छोटछोट बच्चन का तो अउर परेशानी होत हवै उई अब एक दुई रुपिया नहीं लेट आहीं कहत हवै कि सिक्का कउनो नहीं लेट हवैं।
सब्जी बेचें अउर ले वाले दूनौ परेशान हवैं काहे से बिना खुल्ला के कामै न होइ?
चित्रकूट डी.एम का कहब हवै कि सिक्क्न मा कत्तौ रोक नहीं लाग आय। अगर कउनौ सिक्का ना लें तौ हमसे शिकायत करैं या सौ नम्बर का फोन करैं। पै इं सब भी मड़ई कइ चुका हवै पै तबहूं सिक्क्न खातिर परेशान हवैं।चित्रकूट के स्टेट बैंक मैनेजर का कहब हवै कि बैंक कइती से सिक्का ले बंद नहीं आया व्यापारिन के लगें बहुतै सिक्का होइ गा हवै मा कारन उंई जनता का परेशान करत हवैं? हमार कउनौ गलती नहीं आय? प्रशासन तौ आपन–आपन पल्ला झाड़ै मा लाग हवै पै जनता तौ मरी जात हवै? मड़ई अगर बैंक मा सिक्का जमा करै जात हवैं तौ बैंक वाले काहे नहीं जमा करत आहीं?नोट बंदी के समये तौ बहुतै सिक्का दिहिन हवै? अब लेत के दरकी कहत हवैं कि हम कहां धरी? यहै हाल तौ जनता के लगे हवै उंई का करै?