पटना। उच्च न्यायालय ने 2 अक्टूबर 2009 को हुए खगडि़या जिले के अमौसी जनसंहार मामले में 3 जनवरी 2014 को फैसला सुना दिया है। अदालत ने सभी चैदह आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया है।
न्यायमूर्ति वी.एन. सिन्हा और न्यायमूर्ति आर.के. मिश्रा ने खगडि़या जिला अदालत के 2012 के आदेश को चुनौती देने वाले चैदह आरोपियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है।
जिला अदालत ने दस लोगों को मौत की सज़ा और चार को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। सभी चैदह आरोपियों को बरी करते हुए हाई कोर्ट ने कहा इन्हें संदेह का लाभ दिया गया है। अदालत ने इन लोगों को रिहा करने का निर्देश दे दिया है। इस घटना में बिहार के खगडि़या जिले के इचारू गांव के सोलह पिछड़ी मानी जाने वाली जाति के लोगों को ज़मीन के लिए गोली मार दी गई थी।
और भी हैं मामले
मियांपुर जनसंहार
औरंगाबाद जिले के मियांपुर में 16 जून 2000 को पैंतिस दलित लोगों की हत्या कर दी गई थी। जुलाई 2013 में उच्च न्यायलय ने सबूतों के न होने की बात कहकर दस आरोपियों में से नौ को बरी कर दिया था।
लक्ष्मणपुर बाथे जनसंहार
1 दिसम्बर 1997 को बिहार के जहानाबाद जिले के लक्ष्मणपुर बाथे गांव में उच्च जाति के लोगों के गुट ‘रणवीर सेना’ ने इकसठ लोगों की हत्या कर दी थी। इस मामले के सभी छब्बीस आरोपियों को उच्च न्यायालय ने सबूत न पाए जाने की बात कहकर बरी कर दिया। अंत में राज्य सरकार को दखल देना पड़ा। केस में दोबारा कारवाई की मांग की गई है।
बथानी टोला
साल 1996 में भोजपुर जिले के बथानी टोला गांव में दलित, मुस्लिम और पिछड़ी जाति के बाइस लोगों की हत्या कर दी गई थी। साल 2012 में पटना उच्च न्यायालय ने इस मामले के तेइस अभियुक्तों को भी बरी कर दिया था।