नई दिल्ली। 15 अप्रैल को पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर इलाके में पांच साल की लड़की के बलात्कार की खबर से राजधानी में गुस्से की लहर दौड़ गई। लड़की का पहले अपहरण किया गया। 17 अप्रैल को घायल हालत में उसे अपने ही घर के नीचे एक कमरे में पाया गया। बलात्कार के दोनों अभियुक्त – बाइस वर्षीय मनोज कुमार और प्रदीप कुमार पुलिस की गिरफ्त में हैं।
15 अप्रैल को लड़की को मिठाई का लालच देकर मनोज ने उसे अपने कमरे में कैद रखा और बेरहमी से उसका बलात्कार करने के बाद उसे मरा समझकर वह भाग गया। पुलिस ने जनता के गुस्से को देखकर तेज़ी दिखाई और 20 अप्रैल को मनोज को बिहार के मुज़फ्फरपुर जिले के चिकनौटा गांव में पकड़ा। उसने बताया कि घटना में उसके साथ प्रदीप कुमार भी शामिल था जिसे दिल्ली और बिहार पुलिस ने मिलकर 22 अप्रैल को मुज़फ्फरपुर में ही गिरफ्तार किया।
लड़की के परिवार वालों ने बताया कि दिल्ली पुलिस के पास जाने पर उन्हें एक इंस्पैक्टर ने दो हज़ार रुपये का लालच देकर मामला रफा दफा करने को कहा। शुरूआती धरनों में अस्पताल के बाहर दिल्ली के ए.सी.पी. बानी सिंह एहलावत ने एक महिला को थप्पड़ मारकर पीछे करने की कोषिष भी की। एहलावत को सस्पेंड कर दिया गया है। 23 अप्रैल को डाक्टरों ने बताया कि लड़की की हालत में सुधार हुआ और वह खतरे से बाहर है। 24 अप्रैल को लड़की के पिता ने मामला दबाने वाले इंस्पैक्टर की पहचान की।
इन सब घटनाओं के चलते एक बार फिर दिल्ली पुलिस की लापरवाही और रवैये पर सवाल खड़े हुए और आने वाले दिनों में राजधानी में जगह-जगह महिला संगठनों और राजनीतिक दलों ने धरना-प्रदर्षन किया। प्रदर्षनकारियों ने दिल्ली पुलिस कमिष्नर नीरज कुमार के इस्तीफे की मांग भी की।
एक और बलात्कार, राजधानी में गुस्सा
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