बुन्देलखण्ड मा या समय एक्सीडेंट बहुतै ज्यादा होत हवैं। एक्सीडेंट के बढ़त मामला का रोकैं मा प्रशासन भी नाकाम हवै। बेकसूर मड़इन का एक्सीडेंट के घटना से मउत के मुंह समाय का परत हवै। यहिका एक कारन हवै कि सौ मा अस्सी प्रतिशत मड़ई तेज गति से साधन चलावत हवैं। अउर दूसर बात ज्यादातर ड्राइवर नशा कइके साधन चलावत हवंै। या बात का ट्राफिक पुलिस खुद मानत हवै।
ज्यादातर एक्सीडेंट बड़े साधन से होत हवै। अउर छोट साधन वालेन के एक्सीडेंट मा मौत तक होइ जात हवै। एक्सीडेंट न होय यहिके खातिर ट्राफिक नियम बने हवैं।
पुलिस यहिके खातिर हर साल नवम्बर माह मा यातायात रैली निकारत हवै। जेहिसे कि मड़ई नींक से यातायात नियम का पालन करैं अउर अपने घर सुरक्षित पहुंच सकै, पै वाहन चलावैं वाले यातायात नियम का पालन काहे नहीं करत हव? सरकार का भी ध्यान देब जरूरी हवै कि वा नशा कइके ड्राइवरी करैं वालेन के ऊपर रोक लगावैं तबहिने एक्सीडेंट थोइ कम होइ सकत हवै।
मन्दाकिनी नदी मा तीन वाहन के भिड़न्त अउर जोरवारा मा मासूम बच्चन का सरकारी बस रौंद के मउत के घाट उतार दिहिस। या घटना से सब का दिल हिल गा, पै प्रशासन ड्राइवरन के ऊपर खास कारवाही नहीं करिस।
एक्सीडेंट के बढ़त घटना
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