मलेरिया जे एगो संक्रमक रोग हई। अगर एगो के भेल त उ सब में फइले लगई छई। एकरा फइले के सबसे बड़का कारण हई मच्छर। एही से एकरा रोके के लेल डी.डी.टी. के छिड़काव होई छई लेकिन जहां न चाहिये उहे मिलइ छई।
एई के लेल साल में कम से कम दु बेर छिड़काव होय के चाही। जइसे एइ बिमारी से बचल जा सके पर सरकारी काम सरकारी तरह से ही हो रहल हई। जे खतरा के घंटी हई। न कही सही से नाली के सफाई होई छई न डी.डी.टी. के छिड़काव। हर साल लगभग पंद्रह से बीस लोग एई बिमारी से ग्रसित होई छथिन।
एई से कुछ गांव में साल में दस से पन्द्रह लोग के कालाजड़ चाहे मलेरिया के शिकायत रहई छई। अगर एकरा रोकल न गेलइ त इ बिमारी के बढ़ाव देतइ कि रोकतई? पर एइ पर सरकारी विभाग के कोई ध्यान न हई। कहां पहिले होय के चाही अउर कहां बाद में एकर भी ध्यान न रखल जाई छई। अब एकरा कि कहल जतई? सरकार के ओर से अगर दबाई मिलई छई त ओकरा छीटे में कि लगई छई। कयला न उ सही समय पर छिटाइ छई।
एकरा कि कहल जतई
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