नई दिल्ली। दक्षिण कोरिया की कंपनी पोस्को की उड़ीसा के जगतसिंहपुर में लगने वाली स्टील परियोजना को भारत सरकार की तरफ से मंजूरी मिल गई है। आदिवासियों के अधिकारों और पर्यावरण के मुद्दे को लेकर यह कंपनी लगातार विवाद में रही है। मंजूरी के विरोध में लगातार विरोध प्रदर्शन जारी हैं। इस प्रोजेक्ट की लागत 52,000 करोड़ है। 2005 में उड़ीसा सरकार और पोस्को के बीच हुई समझौते के अनुसार प्लांट के लिए 4,004 एकड़ जमीन कंपनी को दी जानी है।
बनीं जांच कमेटियां- जुलाई 2010 में एन सी सक्सेना कमेटी ने अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम को आधार बनाकर इसे आदिवासी आबादी के हितों के खिलाफ बताया था। लेकिन अक्टूबर 2010 में मीना गुप्ता कमेटी ने एन सी सक्सेना कमेटी की रिपोर्ट को बिल्कुल उलट दिया। इसमें कहा गया कि यह प्लांट जिस जमीन में लग रहा है वह खेती योग्य नहीं है। यहां पर आदिवासी लोग नहीं रहते। केवल मछली पालने वाले या फिर किसान रहते हैं।
विवाद-परियोजना वाले इलाके की जमीन के अधिकतर हिस्सों में जंगल है। जंगल पर आदिवासी आबादी का अधिकार होना चाहिए। ऐसे में प्लांट लगने का मतलब है उनके अधिकार छीनना। 2006 में बने अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम में भी इस बात को साफ कहा गया है। प्लांट लगने के लिए प्रस्तावित इलाके की जमीन उपजाऊ है, यह इलाका खास तौर पर पान की खेती के लिए जाना जाता है। अधिग्रहण नियम के अनुसार बंजर जमीन में ही उद्योग लगाए जा सकते हैं। खेतों को उजाड़ना कानून का उल्लंघन है। इस प्लांट के लगने में एक बहुत बड़ी बाधा पर्यावरण मंत्रालय से मिलने वाली मंजूरी थी। क्योंकि इससे निकलने वाला धुआं और औद्योगिक कचरा वातावरण को नुकसान पहुंचाने वाला है।
उड़ीसा में पोस्को को मिली मंजूरी
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