खबर लहरिया राजनीति उत्तराखंड तबाही: आखिर गलती किसकी है ?

उत्तराखंड तबाही: आखिर गलती किसकी है ?

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पिछले साल की तरह इस साल भी भारी वर्षा ने उत्तराखंड को तबाही के बीच ला कर खड़ा कर दिया है। बिगड़ते मौसम और उफ़ान मारती नदियों के कारण उत्तराखंड में लोगों की जान पर बन आई है। मौसम विभाग ने भारी बारिश का रेड-अलर्ट जारी करते हुए चेताया है कि आने वाले 72 घंटे राज्य पर भारी पड़ सकते हैं। विभाग के अनुसार, मानसून और पश्चिमी चक्रवात की आपसी टक्कर की वजह से इस समय पहाड़ों पर यह तबाही आ रही है।

अब तक इस तबाही में करीब 30 लोगों की मौत हो चुकी है। भारी बारिश के कारण ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग पर तोता घाटी के निकट नेशनल हाईवे पर चट्टान गिर गई है जिससे हाईवे बंद हो गया। सबसे ज्यादा असर पिथौरागढ़ पर पड़ा है जहां बादल फटने के कारण जलभराव हो गया है और लोगों को परेशानी हो रही है।

फसलों का अधिकतर हिस्सा बह गया है। पिछले 24 घंटों में 54 मिलीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई। अगले 72 घंटों में भारी बारिश को लेकर नैनीताल, उधमसिंह नगर, चंपावत, अल्मोड़ा, पौड़ी, हरिद्वार, टिहरी और देहरादून जिलों में अलर्ट जारी किया गया है।

लेकिन सवाल यह है कि हर बार यह तबाही इन इलाकों को ही अपना निशाना क्यों बनाती है? दरअसल, इन पहाड़ी इलाकों में छोटे-बडे पावर प्रोजेक्टस चल रहे हैं, जिनके निर्माणकाल के दौरान 2 तरह से इलाके के पहाडों को नुकसान पहुंचता है। एक तो यहां कि पहाडों को चीरने के लिये (उनमें टनल बनाने के लिये) ब्लास्ट किये जाते हैं और फिर उनमें ड्रिलिंग की जाती है। इससे पहाडों की अंदरूनी परतें (प्लेट्स) हिल जातीं हैं और पहाड अपने वास्तविक जगह से खिसकने लगते हैं।

दूसरा कारण है पावर प्रोजक्टस के लिये पेड़ों की कटाई। पावर प्रोजक्टस को जगह देने के लिये हजारों की तादाद में पेडों की कटाई चालू है। जिससे इलाके की हरियाली कम हो रही है। बारिश के वक्त पेड़ एक बफऱ जोन पैदा करते हैं जो कि पहाडों के ऊपर से आ रहे पानी और उनके साथ लुड़कते आ रहे बड़े पत्थरों को रोकने का काम करते हैं, लेकिन जब पेड़ कम हो रहे हैं तो यही पानी और पत्थर सीधे आबादी वाले इलाकों में घुसकर तबाही मचाता है।

साल 2004 में उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने राज्य में पर्यावरण की हालत पर एक रिपोर्ट तैयार की थी और पर्यावरण बचाने के लिये दिशा निर्देश भी दिए थे लेकिन बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स के आगे इन निर्देशों का किसी ने पालन नहीं किया। जिसका परिणाम एक तबाही के रूप में सभी के सामने है।