लखनऊ। हमने दो लाख रुपए खर्चकर आटो खरीदा। लाइसेंस बनवाया रजिस्ट्रेशन करवाया। लेकिन अब यह ई रिक्शा हमारी रोजी रोटी छीनने के लिए सड़कों पर उतार दिए गए। यह कहना है आटो चालक नरेश ग्रोवर का।
शहर में बढ़ रहे ई रिक्शा के विरोध में आटो चालकों ने लगभग पंद्रह दिन काला झंडा लगाकर विरोध किया। 21 सितंबर को परिवहन आयुक्त के कार्यलय के सामने भी घंटों जाम लगाए रखा। आटो चालक पंकज दीक्षित ने बताया कि ई रिक्शा एक डेढ़ लाख में लोग खरीद लाते हैं। बिना रजिस्टेशन ही आराम से चला रहे हैं। कम खर्चे में ही इनका रिक्शा आ जाता है। यह लोग पैसा भी कम लेते हैं। सौ रुपए में बैट्री चार्जकर पूरे दिन यह लोग चल सकते हैं। ऐसे में हमारे आटो पर कोई क्यों बैठेगा। चालक राजेश ने बताया कि इसमें अधिकारियों को भी मिली भगत है। ई रिक्शा तो बिना परमिट के ही सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
परिवहन आयुक्त के रविंद्र नायक ने बताया कि पुलिस इसकी जांच करेगी और ऐसे दुकानदारों पर भी मुकदमा करेगी जो अवैध रूप से ई रिक्शा बेच रहे हैं।
29 सितंबर को डी एम राजशेखर ने परिवहन विभाग के अधिकारियों और एस एस पी के साथ बैठक की। बैठक में आदेश दिया गया कि 15 अक्टूबर से अवैध रिक्शों के खिलाफ अभियान चलाया जाए। जिन लोगों ने भी यह रिक्शे बेचे हैं वह 15 अक्टूबर तक पंजीयन कराएं। अभी राजधानी में ई रिक्शा की चैंतीस दुकाने ही पंजीकृत हैं। बिन पंजीकृत दुकानों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। डीएम ने यह भी निर्देश दिए कि हर दुकानदार इस बात की जानकारी दे कि उसने किसको और कितने रिक्शे बेचे।
ई रिक्शा के खिलाफ आटो चालक
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