महोबा जिला के किसान पिछली साल के ओलावृष्टि के राहत राशि पाये खा भटकत हे, आय दिन किसान तहसील मे धरना देत हे। आखिर ईखो का कारन हे।
सवाल जा हे कि कहूं आदमियन के नाम दो-दो दइयां चेक बनी हे, कोनऊ खा एक रूपइया नई मिलो हे। जा कीखी गलती हे लेखपाल की जा फिर चेक बनाये वाले अधिकरी की? कबरई ब्लाक गांव पिपरामाफ के किसानन को आरोप हे कि लेखपाल ने बगल के खेतन की रिर्पोट बना दई हे, जीखे चेक मिल गई हे। हमें कछू नई मिलो। सोचे वाली बात तो जा हे कि का ओलावृष्टि एक-एक खेत मे भओ हे? आखिर कर्मचारी किसानन के साथे एसो काय करत हे। एक तो किसान कभंऊ भी आराम नई करत ओर न ऊखो लाभ ले पाउत हे। किसान हमेशा कोनऊ न कोनऊ मार से मारो जात हे। एक तो सरकारी लाभ जल्दी लागू नई होत हे अगर होत भी हे तो बोहतई कम किसानन खा मिलत हे। का एसी स्थिति मे कोनऊ भी किसान खेती करें खा तैयार होहे।
का कर्मचारियन के वेतन से पेट नई भरत हे। जीसे गरीबन के साथे हर एक चीज मे घोटाला करो जात हे। जभे सरकार गरीबन खे लाने योजना को लाभ भेजत हे तो किसानन खा काय नई मिलत हे। भारत खा एक कृषि प्रधान देश कहो जात हे, पे लागत हे जा बात कहावत बन के रेह जेहे। काय से किसान रात दिन मेहनत कर आपन ओर दूसरेन को परिवार पालत हे। फिर भी ऊखे साथे एक तरह की धोखाधड़ी करी जात हे। जा बात किसान खे लाने बोहतई बड़ी समस्या हे। सरकार खा गम्भीरता से लेके सोचे खा चाही तभई जा समस्या दूर हो सकत हे।
ईखो जिम्मेंदार कोन हे?
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