जिला बांदा, कस्बा बांदा बालू खनन हमेशा से विवाद मा रहा हवैं। 6 मार्च का सरकार बालू खनन मा रोक लगा दिहिस रहै। जेहिसे हेंया के तीन सौ गधेड़ परिवार भुखमरी के कगार मा पहुच गें हैं।
1 मई का इलाहाबाद हाईकोर्ट बालू खनन के मंजूरी दइ दिहिस है, पै या दरकी ई टेंडर जइसे आंनलाइन व्यवस्था 6 महीना खातिर कीन गे है। पै अबै भी इं गधेड़ परिवार आनलाइन व्यवस्था के कारन आपन काम नहीं कई पावत आहीं।
यहिके खातिर उंई जबै मुख्यमंत्री 20 मई का बांदा आये रहै तबै ज्ञापन दिहिन है। मुख्य मंत्री रोजगार के व्यवस्था करै के जिम्मेदारी अधिकारिन का दिहिन है पै अबै भी इं गधेड़ परिवार का आपन रोजगार नहीं मिल पावा आय। अउर भूखन मरे का मजबूर है । ज्योति भूरी अउर गीता बताइन कि हमार लगे यहै काम है तौ गधा गंदगी तौ करिहैं। हमें खाये का नहीं आय तौ गधा का कहां से खवइबै। यहै खातिर भूखन मरे का मजबूर है। बच्चन का एक दिन मा तीन लीटर दूध पियावे मा लागत है हमरे लगे येत्ता रुपिया नहीं आय कि बच्चन का दूध पिया सकी।
मोदी कहत है कि बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओ हमार पूर धंधा खत्म कई दिहिन तौ कसत बेटी पढ़ाई अउर का खवई। अबै तक बच्चन के नाम स्कूल मा नहीं लिखे गें आहीं न कांपी किताब खरीदे गे आहीं।
अनशन भूख हड़ताल सब कुछ कई चुके हन अब हम आपन रोजगार करबै। काहे से हम भूखन मरित हन। प्रशासन का जउन देखाये तउन करे चाहे गोली मार दें।
अध्यक्ष कामगार मजदूर विकास एसोसिएसन मल्हू बताइस कि हम इटेंडर जइसे ठेकेदारी का काम नहीं कई सकित आय। काहे से हम गरीबन के लगे येत्ता रुपिया नही आय येत्ता रुपिया होत तौ हम दूसर रोजगार कइ लेइत। शासन से दरखास करित है कि हमें बालू का काम करे दें।
रिपोर्टर- गीता देवी
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06/06/2017 को प्रकाशित