बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने 4 सितम्बर को हुई अपनी विशाल रैली में यह दावा किया कि अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की दौड़ में उनकी पार्टी ‘‘दूसरों से कहीं आगे’’ है। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि सपा, भाजपा और कांग्रेस गुप्त समझौते के तहत यह छवि गढ़ने की कोशिश कर रही हैं कि बसपा की हालत काफी कमजोर है।
इलाहाबाद के अलोपीबाग में मायावती को सुनने भीड़ जमा थी। इस मौके का पूरा फायदा उन्होंने बसपा को लेकर उठे अंदेशों पर सफाई देने के लिए किया। मायावती इस बार दलित-मुस्लिम वोट पर ज्यादा जोर दे रही हैं लेकिन चुनाव में वह सवर्णों की उपेक्षा का इल्जाम भी अपने सिर नहीं लेना चाहतीं। लिहाजा कहती हैं, “लोग कह रहे हैं कि मैं सवर्ण समाज के खिलाफ हूं जबकि सच तो यह है कि मैंने सवर्ण समाज के लोगों को पार्टी में ऊंचा स्थान दिया है।”
मायावती कहती हैं, “यदि किसी भी समाज का पार्टी से जुड़ा बड़े से बड़ा नेता भी अपने व्यक्तिगत व पारिवारिक स्वार्थ में किसी भी विरोधी पार्टी के हाथ में चला जाता है” मायावती कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा रही हैं और जनता का भरोसा जीतने की कोशिश कर रही हैं।