सरकार का नारा है कि हर गांव मा शौचालय होब बहुते जरूरी हवै यहिके खातिर हर जिला के डीएम का आदेश दिन गा हवै कि कउनो भी खुले मा टट्टी न करें नहीं तौ कारवाही किन जई। पै सोचै वाली बात या हवै कि जउन गांवन मा शौचालय नहीं बनें आही तौ उई कहा टट्टी करै जइहें? सरकार कसत कहत हवै कि हर गांव का ओडीएफ होये का चाही मतलब हर घर मा शौचालय। पता नहीं या सरकार का हर गांव का ओडी एफ वादा पुर भी होई या मडई यहिनतान टट्टी पेशाब खातिर हिंया हुंवा भटकत रहिहैं का।
चित्रकूट जिला के मऊ ब्लाक का एक गांव हवै लपाव जहा देख के लागत हवै कि कत्तो व गांव मा अधिकारी गें तक नहीं आयें। कउनो के घरन मा शौचालय नहीं बने आहीं जउन बने भी हवैं उई बेकार हालत मा हवैं। नाम खातिर सुविधा तौ शौचालय बने हवैं पै कउनो मतलब के नहीं आहीं। न किवाड़ा लाग, न छत परी न पानी के व्यवस्था तौ फेर कसत का शौचाल? या गांव के पांच हजार जनता शौचालय खातिर परेशान हवैं पै सरकार का यहि से कुछ असर नहीं पड़त आये। कइयै दरकी अधिकारीं से शिकायत भी करिन पै जनता के सुनवाई आज भी शौचालय खातिर नहीं भे आये। का इनतान मा सरकार हर गांवन का ओडीएफ करवा पइ? या केवल सत्ता जमावै खातिर इनतान स्व कींन जात हवै? का लपाव गांव मा क्त्त्तों शौचालय बनिहें? या जनता का भरोसा बस सुनै का मिली?