इज़्ज़त के खातिर होने वाली हत्याओं के लिए अलग से कानून बनाए जाने की ज़रूरत है।
तमिलनाडू। उत्तर भारत में गैर जातीय शादियों के खिलाफ फैसले सुनाने वाली खाप पंचायतों के फैसले देशभर में चर्चा का मुद्दा बनते हैं। लेकिन दक्षिण भारत में इज़्ज़त की खातिर होने वाली हत्याओं का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है।
चिंता वाली बात यह है कि इस तरह के ज़्यादातर मामले आत्महत्या के नाम पर रिपोर्ट किए जा रहे हैं। हाल का मामला सत्रह साल की हिंदू लड़की का है। अनुसूचित जाति के एक लड़के रामानाथपुरम से विवाह का विरोध लड़की के मां-बाप कर रहे थे। कुछ दिनों बाद उसकी आत्महत्या का मामला सामने आया। तमिलनाडु में गैर जातीय विवाहों, खासकर ऐसी शादियों जिनमें लड़का या लड़की में से कोई एक दलित होता है, में सामाजिक बाधाएं खड़ी की जाती हैं। ऐसी कई मौतें सामने आईं जिनमें शादी के बाद या शादी के पहले लड़का या लड़की या फिर दोनों की हत्या हुई। दक्षिण भारत में ऊंची समझी जानेवाले वनियार समुदाय की लड़की से विवाह करने वाले धर्मापुरी जि़ले के दलित युवक इलावरसन की मौत का कारण भी गैरजातीय विवाह था। छुआछूत के खिलाफ काम करनेवाली संस्था तमिलनाडू अनटचेबिलिटी इरेडिकेशन फ्रंट के अध्यक्ष पी संपथ ने बताया कि पिछले तीन सालों में राज्य में इज़्ज़त के नाम पर अट्ठानवे मौतें हुईं। इन सभी मौतों को आत्महत्या दिखाया गया।
औरतों को संपत्ति समझना जातिगत हिंसा की वजह
ऊंची समझी जाने वाली जातियों का अहम और महिलाओं को संपत्ति समझना इज़्ज़त के खातिर की जानेवाली हत्याओं की प्रमुख वजह हैं। जातिगत हिंसा के लिए काम करने वाली संस्थाओं की मानें तो ऊंची समझी जानेवाली जातियों में यह धारणा होती है कि औरतें वंश की पवित्रता बनाए रखने के लिए जि़म्मेदार होती हैं। यानी गैरजातीय विवाह के कारण जातियों में मिलावट होने से रोकने का काम औरतों का ही माना जाता है। ऊंची समझी जानेवाली जातियों की मान्यता होती है कि अगर लड़की किसी दूसरे समुदाय या जाति में जाएगी तो आनेवाली पीढ़ी में मिलावट हो जाएगी। इसी कारण लड़कियां ज़्यादातर इज़्ज़त की खातिर होने वाली हिंसा का शिकार होती हैं।
इज़्ज़त के खातिर होने वाली हत्याओं में तमिलनाडू आगे
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