चित्रकूट जिला मा हमेशा पानी के समस्या बनी रहत हवै। कत्तौ हैण्डपम्प खराब तौ कत्तौ कुंआ के पानी मा किरवा परे हवै तौ कत्तौ कुंआ मा पानी नहीं रहत आय। यहिकर उदाहरण ब्लाक मऊ, कस्बा मुरका का हवै।
हिंया एकै कुंआ हवै। मड़ई वहै कुंआ का पानी पियत रहै। अब वा कुंआ मा लगभग तीन महीना से किरवा होइगें हवंै। यहै से सैकड़न मड़ई पानी खातिर हिंया-हुंवा भटकत फिरत हवै। पानी तौ हर समय लागत हवै। चाहे गर्मी, जाड़ा या फेर बरसात होय। बिना पानी के कउनौ काम नहीं होइ सकत आय। या कारन मजबूरी मा मड़ई हैण्डपम्प से पानी भरैं खातिर दुइ सौ मीटर दूर जात हवै।
सोचैं वाली बात तौ या हवै कि कस्बा मा एकै हैण्डपम्प लाग हवै। यहै से हैण्डपम्प मा भीड़ लाग रहत हवै। पानी भरैं के चक्कर मा सबहिने से ज्यादा मेहरियन का परेशानी झेलैं का परत हवै। काहे से कि मनसवा तौ पानी भरैं से मना कइ देत हवैं। उंई कहत हवै कि तोहिका पानी के जरूरत हवै। अब सवाल या उठत हवै कि कुंआ मा ब्लीचिंग पाउडर डरवावैं खातिर जिम्मेदारी केहिके आय। गांव के आशा के? ब्लीचिंग पाउडर डरवावैं खातिर का आशा के कउनौ जिम्मेदारी नहीं आय। या फेर आशा मड़इन के समस्या का नजर अंदाज कइ देत हवै। यहिके खातिर आशा का सोचैं के जरूरत हवै। तबहिने गांव के जनता का पानी के समस्या से न जूझैं का परी अउर जनता भी आशा से खुश रही? जबैकि सरकार बुन्देलखण्ड पैकेज के तहत करोड़न रूपिया पानी के समस्या खतम करैं खातिर दिहिस रहै। वा रूपिया कहां गा। यहिके खातिर सरकार का पानी के समस्या खतम करैं वाले अधिकारी से जवाबदेही लें के जरूरत हवै। तबहिने पानी के समस्या खतम होइ।
आशा ध्यान दे, जनता खुश रही
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