भारत देश में 99 करोड़ लोग आधार कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं। जहां पहले ही कई पहचान पत्र हमारे पास मौजूद हैं वहां इस नए पहचान पत्र के आने से क्या होगा?
आइये डालते हैं पक्ष-विपक्ष के द्वारा आधार कार्ड पर एक नजर-
पक्ष- विशेषज्ञों का मानना है कि आधार डिजिटल वल्र्ड का एक पासपोर्ट है जो ऑनलाइन आईडी की तरह किसी भी व्यक्ति की सारी जानकारी अपने पास रखता है। इसका इस्तेमाल डिजिटल सत्यापन के लिए, कागजों का इस्तेमाल समाप्त करने के लिए तथा सुरक्षा संबंधी चिंताएं कम करने के लिए भी किया जा सकेगा। सरकार कहती हैं कि इस विधयक के बाद बेहतर तरीके से सब्सिडी पर टारगेट किया जा सकेगा।
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के अनुसार, आधार कार्ड के इस्तेमाल से एक पात्र व्यक्ति को कर्ज लेने में मदद मिल सकती है कर्ज लेने वाला अपना नाम और पता गलत बता सकता है। आधार नंबर होने से इस स्थिति को आसानी से रोका जा सकता है। सरकार जनवितरण प्रणाली और गैस सिलिंडर वितरण में इसका प्रयोग कर सकती है लेकिन इन सेवाओं के लिए आधार कार्ड देना जरूरी नहीं होगा।
विपक्ष- ये हमारी निजता और स्वतंत्रता में घुसपैठ जैसा है। अगर हमें पता हो कि हमारे फोन और ईमेल की निगरानी की जा रही है तो हमें बातचीत करने के लिए दूसरे सुरक्षित तरीकों की तलाश करनी होगी। भारत में निजता संबंधी कोई कानून नहीं है। यानी आधार परियोजना एक तरह के कानूनी निर्वात में काम कर रही है।
तर्क दिया जा रहा है कि सामाजिक कल्याणकारी परियोजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए आधार जरूरी है. केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारें भी आधार के पक्ष में यही तर्क देती रही हैं. लेकिन ये सच नहीं है. सामाजिक कल्याणकारी परियोजनाओं में आधार के बगैर ही भ्रष्टाचार में कमी आ रही है.
साल 2009 से बैंक अकाउंट के प्रयोग के बाद से नरेगा (राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) में होने वाले घपले में काफी कमी आई है।