सरकार के सोच हई कि सब लोग के नाम से बैंक में खाता खुले। ऐई के अलग-अलग योजना के नाम रख के जेतना भी बैंक हई ओई में मुफ्त में खाता खोलावे के आदेश देई छथिन। ताकि सब लोग अपन-अपन जरूरी के अनुसार बैंक में लेन-देन करथिन।
खाता खोलावे के लेल सरकार लोभ प्रलोभन भी देई छथिन। कभी कहई छथिन कि ऐन्सुरेन्स कयल जतई, लोन मिलतई, खाता खोलावे वाला के सोना चांदी भी मिलतई। ऐई के लेल खाता खोलावे वाला अउर खोले वाला लोग के बैंक में बड़ा भीड़ रहई छई। कभी-कभी त ऐई के लेल बैंक में हंगामा भी होये लगई छई। जेईसे सोनबरसा प्रखण्ड के स्टेट बैंक जगह अउर कर्मी के कमी के कारण जन धन योजना के खाता न खुल रहल हई। कही भीड़ के कारण कम खाता खुलई छई। जेकर नतीजा हई कि जेकरा नाम से खाता हई उ लोग भी लोभ के कारण खाता खोलबई छथिन।
मगर सरकार के ऐई पर विचार करे के चाही कि जेकरा नाम से पहिले से खाता हई उ दोबार से खाता न खोलावे। लेकिन इ योजना से जे लाभ मिले के सुविधा कहल जाई छई। उ मिलतई कि खाली धोषणे हो के रह जतई उ त सरकार ही जनथिन।
आगे की होतई?
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