दिन पर दिन बलात्कार के घटना बढ़ते जा रहल हई। आई महिला या बच्ची कही भी सुरक्षित न छथिन। एई के लेल उनका घर से निकलना भी मुश्किल हो गेल हई।
हर क्षेत्र में महिला के समान अधिकार देल गेल हई। लेकिन महिला कही सुरक्षित न हई। 7 अप्रैल 2013 के भेल बैशाली के घटना दिल के दहला देवे वाला हई। जेई में सात साल के बच्ची के साथ बलात्कार कयल गेलई। ओई बेरहम के ओकर मासुमियम पर भी तरस न अलई। एईतन ही न एही दिन रोहतास में किशोरी के साथ सामुहिक बलात्कार भेलइ, पिछला सप्ताह मुजफफपुर के महिला के साथ भेल बलात्कार हई। जेइमें उनकर मौत भी हो गेलई। एतना सरकार महिला हिंसा के लेल कानुन बनवइ छथिन। लोग हिंसा के विरोध करई छथिन, घरना करई छथिन। फिर भी घटना कयला बढ़ते जा रहल हई? आई कोई भी महिला अगर घर से बाहर निकलई छथिन उनका ई विश्वास न रहई छई कि सांझ तक हम सुरक्षित घर वापस पहुचव की न? कि आई फेर कोई लड़की के बलात्कार होतई? हर जगह हर धण्टा महिला एही दहसत में जी रहल छथिन? आखिर कब तक एई दहसत ें लोग जीतई?
आखीर कब तक……..
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