प्राथमिक स्वस्थ्य केन्द्र जे इलाज के लेल नजदिकि सुविधा होई छई। खास कर प्रसव के लेल। लेकिन जिला में एकर केतना सुविधा हई इ त आए दिन होय वाला घटना ही बतवई छई।
सोनबरसा प्राथमिक स्वस्थ्य केन्द्र में 19 जूलाई 2013 के खुलल आसमान के नीचे मोबाईल अउर टार्च के रोंशनी में बच्चा पैदा होलई। उहां न सही भवन हई न चैबीस घण्टो बिजली या जनरेटर के सुविधा। बात इहे न खत्म हो जाई छई। रीगा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में त कर्मी भी न हई। 15 जूलाई 2013 से एम्बुलेंस भी खराब हई। अब अगर एहन में रात बिरात कोनो मरजेन्सी होतई त कोन उपाय होतई? डूमरा प्रथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक ही भवन में महिला अउर पुरूष दुनू लोग रहई छई। अइसन व्यवस्था अगर रहतई त लोग के अस्पताल से कोन फायदा होतई?
लोग अस्पताल में अपनाआप के सुरक्षित समझई छथिन। लेकिन इहां त सुविधा नदारद हई। आखिर सरकार के सुविधा कहिया जनता तक पहुंचतई?
आखिर जनता के सुविधा कईसे मिलतई
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