बिजली का लइके चुनाव मा जउन वादा कीन गे रहै हैं उंई वादा का अबै तक कउनौ असर नहीं देखाई देत आय। मुफ्त बिजली के बात तौ दूरी है, गांव वाले जउन कनेक्शन लिये हैं तौ वहिका भी कटावै का मजबूर हैं। इनतान कहे होत है या जाने खातिर चलित है बांदा जिला के दतौली गांव मा।
आरती बताइस कि बिजली का कनेक्शन कटा दें तौ ज्यादा अच्छा है काहे से जलावै के खातिर तेल तौ वत्ते खर्च होत है।
सुरेश का कहब है कि हम सरकार से प्रार्थना करत है कि हमार बिजली काट दे, काहे से बिजली से कउनौ काम नहीं होइ पावत आहीं। पंखा,टी.वी. कुछौ नहीं चलत, न बल्व जलत आय, केवल फोन भर चार्ज होत है। यहिसे नींक मिट्टी का तेल खरीदकर जला लेई।
रमेश सोनी ने बताइस कि पहिले बिजली का बिल पन्द्रह हजार आवा फेर इकतिस हजार आवा। एक साल मा तीस से चालिस हजार तक बिल आवत है, तौ मड़ई बिल कसत भर पइहैं। हेंया कउनौ फैक्ट्री चलत है का, कि येत्ता बिल आवत है।
हरीशंकर पटेल का कहब है कि मैं पिछले महीना बिल जमा कइ दीने रहे हौं, तौ फेर से पुरान बिल कसत आ गा है, या बिजली कर्मचारी के कमी आय या बिल बिजली कर्मचारी भरिहैं।
बिजली विभाग के जेई संतोष का है कि मड़ई हीटर चलावत होइहैं, तबै येत्ता बिल आवत है। ज्यादा यूनिट बिजली खर्च होत है। या सरकार के बस जिम्मेदारी न होय मड़इन के जिम्मेदारी भी आय।
रिपोर्टर- शिवदेवी
Published on Feb 7, 2018