सूखा पानी की कमी के साथे मौसम ने भी आपन पारा दिखाउब शुरू कर दओ हे। सुबेरे सात बजे से बाहर निकरे मे मे एसो लगत हे जेसे मानो ऊपर से आगी बरसत हो। लू ओर गर्मी से बचे के लाने आदमी मुंह बांध छाता लेके घर से निकरत हे। फिर भी सरकारी अस्पलात ओर प्राइवेट अस्पालन में मारीजन की लाइन लगी हे। सुबेरे से शाम तक डाक्टर खा पानी ओर खायें खा समय नई मिलत हे। ई समय खास का झोलाछाप डाक्टरन की चांदी-चांदी हे।
ईखे लाने स्वास्थ्य विभाग भी कोनऊ ध्यान नई देत हे। न ही ईखे लाने अभे तक टीम बनी हे। जभे की डाक्टरन खा पता हे की जा समस्या आज की नोय हर साल गर्मी शुरू होतई डायरिया जेसी गम्भीर बिमारी फेलत हे? आदमी तो अपने बचाव के लाने पूरी कोशिश करत हे। गर्मी लू ओर डायरिया जेसी बिमारी से केऊ दइयां इलाज करवायें के बाद भी परिवार खा महंगो पर जात हे।
आखिर अगर कोनऊ की डायरिया जेसी बिमारी से मोत होत हे तो ईखो जिम्मेंदर कोन हे। सवाल जा उठत हे की ईखे लाने स्वास्थ्य विभाग खा भी ध्यान देय खा चाही। गर्मी शुरू होतई टीम बने खा चाही? जीसे गांवन मे जाके बचाव के कारन समझाये जा सके। जीसे अगांऊ आयें वाली परेशानी को सामना न करने परे।
राज्य सरकार ओर केन्द्र सरकार बाढ़ ओर आग लागे से मरे वाले आदमियन के परिवार खा दैविय आपदा के तहत मुआवजा देत हे। का लू ओर गर्मी से मरे वाले आदमियन के परिवार खा सरकार मुआवजा देहे?