असम में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (नागरिकता) की अंतिम सूची के ड्राफ्ट जारी होने के बाद 40 लाख से ज्यादा लोगों का भविष्य अधर में लटक गया है। ये ऐसे लोग हैं जिनका नाम ड्राफ्ट में नहीं है। केंद्र सरकार ने भी इन लोगों की नागरिकता की स्थिति पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
बता दें कि नागरिकता ड्राफ्ट में 2.89 करोड़ लोगों का नाम शामिल है जबकि असम में 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन दिया था। 40 लाख लोगों के नाम रजिस्टर में क्यों नहीं है, इसके कारणों को सार्वजनिक नहीं किया गया है।
हालांकि चार श्रेणियां जरूर बताई गई हैं, जिनसे जुड़े लोगों के नाम शामिल नहीं किए गए। वह है, ‘D (संदिग्ध) वोटर्स, D वोटर्स के बच्चे व परिवार के लोग, जिनके मामले विदेशी न्यायाधिकरण में लंबित हैं और उनके बच्चे।’
नागरिकता के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने 40 लाख आवेदकों के नाम न होने की वजह पूछे जाने पर कहा, ‘हम कारणों को सार्वजनिक नहीं करने जा रहे हैं। इसकी जानकारी व्यक्तिगत रूप से दी जाएगी। वे एनआरसी सेवा केंद्रों पर जाकर भी कारणों के बारे में पता कर सकते हैं।’
पत्रकार वार्ता में भारत के रजिस्ट्रार जनरल शैलेश ने घोषणा की कि नागरिकता में कुल 3,29,91,384 आवेदकों में से अंतिम मसौदे में शामिल किए जाने के लिए 2,89,83,677 लोगों को योग्य पाया गया है।
इस दस्तावेज में 40.07 लाख आवेदकों को जगह नहीं मिली है। यह ‘ऐतिहासिक दस्तावेज’ असम का निवासी होने का प्रमाण पत्र होगा।
बता दें कि असम पहला भारतीय राज्य है जहां असली भारतीय नागरिकों के नाम शामिल करने के लिए 1951 के बाद नागरिकता को अपडेट किया जा रहा है। नागरिकता का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की रात को जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे।