यहि भागती जिन्दगी मा मनइन का नयेपन कै ऐसन शौक लागि गा बाय कि मनइन के अन्दर कै अनमोल कला पीछे रहि जात बाय। आज हम आप सबका मिलवावत हई फैजाबाद जिला के अवधी कलाकार मुकेश कुमार से जिन्होंने अवधी लोक नृत्य का सहेजै कै काम करे अहैं।
मुकेश कुमार कलाकार कै कहब बाय कि ई कला अवध कै प्राचीन अउर पारम्परिक कला आय। परवाही लोक नृत्य, ऐसे ही हमरे उत्तर-प्रदेश के अवध क्षेत्र मा बहुत से लोकनृत्य, लोकगायन बहुत अहैं लकिन केहू यका संजोवे वाला नाय बाय अउर खासकर नई पीढ़ी तौ यका भूलत जात बाय। यह कला का बचाये रखै के ताई हम यका करत हई। आज से दस साल पहले हम यहि कला का समझेन। हमै एसेन लाग की जिंदगी कै सारा लक्ष्य हमैं मिल गा बाय हमै यही दिशा मा काम करै का चाही। अवधेश अवधी नृत्य सरौता, डफला लोक नृत्य जैसे कइयो पुराने नृत्य का एक नई पहचान दियत अहैं।
मुकेश कुमार बताईंन की गर्मी के छुट्टी में गेदहरन कै छुट्टी रहाथै उनके पास पूरा समय रहाथै खासकर जवन गरीब गेदहरै अहैं वै बाहर कउनौ इंस्टीट्यूट मा सीख नाय पउते उनका देखके उनकै रूचि देखके हम अपने एकेडमी मा निःशुल्क ट्रेनिंग दी थी। जब स्कूल से पढिके आवाथे शाम का दुई घंटा सीखाथे। अउर गर्मी के छुट्टी मा पंद्रह-बीस दिन कै ट्रेनिंग चलाई थी। मंडल स्तर पै योगी आदित्यनाथ एक प्रतियोगिता कराये रहे जेहमा हमरे सब पहले स्थान पै आय रहेन। गायन वादन, नृत्य अउर अभिनय कै बेजोड़ मेल बाय अवधी नृत्य।
जवन कलाकार अहैं वै गायन, वादन अउर नृत्य अउर अभिनय के माध्यम से जवन जीवन कै अनमोल सत्य अहैं अउर अनमोल वचन अहैं वका प्रदर्शित कराथे। समाज जवन प्राचीन कलाकार अहैं उनका महत्व नाय दियत बाय यहि वजह से लोक कलाकार मरत बाय। अगर उनका मान सम्मान अउर रोजी रोटी मिलत हवत तौ वै कबहूँ यहि कला का बंद न करते।
अनुराग कलाकार कै कहब बाय की वै एक साल से डांस सीखत अहैं अउर उनका डांस बहुत पसंद बाय। रवि कै कहब बाय की नये लोग पुरानी कला का छोड़के नई कला अपनावत अहैं। जेसे जवन पुरानी कला बाय ऊ विलुप्त हुवत जात बाय। जेसे हमार सन्देश बाय कि नये लोग समझै अउर कला का विलुप्त हुवे से बचावै। सुजीत कै कहब बाय कि अब तौ स्कूलन मा फिल्म वाला डांस हुआथै हमरे सब सोचेन कि यहि कला का अपनाई हमरे सब स्कूलन मा जाय-जाय के कार्य करवाई थी।
रिपोर्टर-कुमकुम