11 दिसम्बर 2014 से परे वाली ठण्डी आदमियन ओर पशु पक्षी खा झकजोर के धर दओ हे। सबसे ज्यादा परेशानी किसान मजदूर ओर रिक्सा चलाये वाले आदमियन खा होत हे। काय से मजदूर आदमी सुबेरे से मजदूरी करें खा जात हे।
एसी गलन वाली ठण्डी में हाथ पांव ठिठुरत के बरफ हो जात हे। पे हाथ पांव सेंके खे लाने कहूं इत्ती सुविधा नइयां कि आगी से आपन हांथ पांव सेक सके।
सरकार हर साल ठण्डी में आलाव जलायें खे लाने बजट भेजत हे। पे ऊखो फायदा जनता खा नई मिलत हे। आलाव कागज में जलत चढ़ो हे। आज तक कोनऊ ने जलत नई देखो हे। ठण्डी से निपटे खे लाने प्रसानन खा पेहले से सुविधा करे खा चाही। काय से ठण्डी नवम्बर के महीना परन लगत हे।
ताज उदाहरण-महोबा के आल्हा चैक में सुबेरे से सैकड़न की सख्या में मजदूर इक्टठा होत हे। पे अलाव की कोनऊ सुविधा नइयां। जीसे मजदूर ठण्डी में बेठे ठिठुरत रहत हे। अधिकारी ईखे बारे में कोनऊ ध्यान नई देत हे। जभे कि नगर पालिका के चेयरमैन के अनुसार आलाव जलाओ जात हे। जोन कागज में चढ़ के रह गओ हे।
सवाल जा उठत हे कि जभे सरकार आलाव गली ओर चैरहों में जलायें खा बजट भेजत हे तो अलाव काय नई जलाओ जात हे। अगर अलाव नई जलत हे तो सरकार खा ईखे बारे में अपने कर्मचारियन से जबाब लेय खा चाही? ऊ बजट किते जात हे। जा सवाल महोबा जिला के मजदूर आदमी करत हे। सरकार खा ई बात में गम्भीरता से सोचे खा चाही। तभई जा समस्या दूर हो सकत हे।
अलाओ कागज में चढ़ के रह गओ हे?
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