नई दिल्ली। 26 जनवरी के मौके पर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा चर्चित रही। दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए तो कई विवाद भी खड़े हुए।
टूटे कई संवैधानिक नियम
संवैधानिक नियमों को छोड़ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को लेने एअरपोर्ट पहुंचे। जबकि प्रधानमंत्री खुद कभी किसी विदेशी मेहमान को लेने नहीं जाते। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को उनके पहले नाम यानी बराक कहकर पुकारा। तो वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी प्रधानमंत्री को नरेंद्र कहकर पुकारा।
क्या क्या हुए समझौते
भारत के तीन बड़े शहरों उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, राजस्थान के जैसलमेर और आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम को स्मार्ट यानी विकसित शहर बनाने में अमेरिका तकनीकी और आर्थिक मदद करेगा। भारत अमेरिका के बीच चार नए रक्षा समझौते हुए। इसके तहत अब अमेरिका भारत को दूसरे देशों द्वारा बेचे जाने वाले परमाणु समेत अन्य हथियारों की निगरानी की मांग से पीछे हट गया।
तो क्या अब संविधान से गायब धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद…
भारत एक धर्म निरपेक्ष यानी सभी धर्मों को मानने वाला देश है। विकास में समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर यानी समाजवाद अपनाने वाला देश है। ऐसे में अगर हमारे देश के संविधान की भूमिका से धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्दों को ही गायब कर दिया जाए तो हंगामा तो होगा ही। ऐसा ही कुछ इस बार गणतंत्र दिवस पर हुआ। जब सूचना एवं जनसंपर्क मंत्रालय ने गणतंत्र दिवस के मौके पर अखबारों में विज्ञापन दिया। हालांकि मंत्रालय का कहना है कि यह दोनों शब्द 1976 में संविधान में जोड़े गए थे। विज्ञापन में संविधान की पहली वाली भूमिका थी। कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल और कुछ संगठन नाराज़ हैं। यह लोग मंत्रालय द्वारा माफी मांगने की मांग कर रहे हैं। तो क्या अब इन शब्दों को हटाने की तैयारी में है भाजपा की केंद्र सरकार।
अमेरिकी राष्ट्रपति को हत्या की धमकी
अमेरिका। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने दुनिया के सबसे ताकतवर माने जाने वाले देश अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को मारने की धमकी दी है। संगठन ने इंटरनेट पर एक वीडियो जारी कर कहा है कि हम राष्ट्रपति बराक ओबामा को राष्ट्रपति भवन यानी व्हाइट हाउस में घुसकर मारेंगे।
इस खबर ने दुनिया में हलचल मचा दी है। यह संगठन अब तक हज़ारों लोगों की जान ले चुका है। फ्रांस और बेल्जियम को भी धमकी दी है। व्हाइट हाउस के अधिकारियों का कहना है कि यह आतंकी संगठन की चाल है। वह हमें धमकी देकर अमेरिका द्वारा आतंवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को बंद करवाना चाहता है।