वाॅशिंगटन, अमेरिका। 26 जून को अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में पूरे देश में समलैंगिक विवाह को मंज़्ाूरी दे दी। इससे पहले अमेरिका के पचास में से चैदह राज्यों में पुरुष-पुरुष और महिला-महिला के बीच शादी को गैरकानूनी माना जाता था।
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि इस फैसले के बाद अमेरिका में और समानता होगी। उन्होंने इसे अमेरिका देश की जीत बताया। सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों में पांच ने इसे कानूनन बनाने के हित में और चार ने इसके खिलाफ वोट दिए।
अमेरिका की इस घोषणा का जश्न कई और देशों के समलैंगिक लोगों ने भी मनाया।
समलैंगिक शादी और उससे जुड़े अधिकारों की लड़ाई अमेरिका में बीस सालों से चली आ रही थी।
2009 – वरमाॅन्ट समलैंगिक शादी को मंज़ूरी देने वाला पहला राज्य बना।
2013 – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन राज्यों में समलैंगिक जोड़े शादीशुदा हैं वहां उन्हें शादी से जुड़े सभी लाभ मिलेंगे।
2015 – सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में समलैंगिक विवाह को कानूनन जायज़ घोषित किया।
सोच विचार
‘इस फैसले ने ये दिखा दिया है कि एक संवैधानिक लोकतंत्र क्या हासिल कर सकता है। अमेरिका और भारत दोनों के संविधान स्वंत्रता और समानता पर आधारित हैं। अफसोस की बात है कि भारत ऐसे फैसले से कोसों दूर है। मुझे लगता है कि अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस बात को मान्यता देता है कि आखिर शादी प्यार जताने का एक तरीका है जो सबके लिए है।’
– मयूर सुरेश लंदन में लेक्चरर हैं।
‘ये ऐतिहासिक और प्रशंसनीय फैसला है। अमेरिका जैसे बड़े देश का ये फैसला बहुत महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है। हम ऐसे संदर्भ में रह रहे हंै जहां कई अधिकार हैं जो कुछ ही लोगों को मिलते हैं। ये बहुत गलत व्यवस्था है। अधिकार सबको मिलने चाहिए। परिवार और रिश्ते कैसे होने चाहिए – ये तय करना कोर्ट या सरकार का काम नहीं है।’
– लेसली ऐस्टेवेस दिल्ली में क्वीयर अधिकारों पर काम करती हैं।