जब बच्चा जन्म लेई छई चाहे उ लड़का हो या लड़की ओई समय कोई कोई अन्तर न रहई छई। लेकिन जन्म भेला के बाद समाज खान-पान, कपड़ा से लेके रहन-सहन तक लोग भेद-भाव करे लगई छथिन। हर जगह लोग लड़की के बारे में अलग ही सोचई छथिन।
पहिले त लड़की के लोग लड़की के पढ़ाई लिखाई के सुविधा न देईत रहलथिन। समाज के सोच रहईत रहलई कि उ पराया घर जाये वाला हई। ऐई के लेल जन्म लेला के बाद से सब जगह भेद-भाव करईत रहलथिन।
लेकिन अभी त शिक्षित लोग भी हो रहल हई। दोसर में सरकार लड़की के पढ़ाई के लेल आरक्षण भी देले छथिन। बिहार सरकार त लड़की के पढ़े के लेल साईकिल, पोषाक, छात्रवृति के लेल रूपईया देई छथिन। ताकि सब शिक्षित अउर जागरूक होये। इहां तक कि सरकारी से प्राईवेट नौकरी में भी आरक्षण देले छथिन। लेकिन ऐतना आरक्षण के बाद आई भी हमरा समाज के लोग लड़की के पहनावा अउर रहन-सहन के लेल प्रतिबंध लगा देलथिन।
बिहार, उतर प्रदेश जईसे कई राज्य में पहनावा अउर मोबाईल रखे पर जुर्माना भी कयल गेलई।
इ केहन समाज के नियम बनलई। अगर ऐई पर सरकार विचार न करथिन त महिला अभी आगे बढ़ गेल छथिन ऐई के रोके के लेल लड़ाई भी सरकार से लड़ सकई छथिन।
अभी भी भेद-भाव
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