चित्रकूट जिला मा पांच ब्लाक हवैं। इं ब्लाक के गांवन मा पानी के समस्या हमेशा बनी रहत हवै। यहिकर उदाहरण ब्लाक मऊ, गांव टिकरा, बद्री के पुरवा का हवै। या पुरवा का बसे लगभग पांच बरस होइगें हवैं, पै अबै तक हैण्डपम्प नहीं लाग हवै। मड़ई पियै खातिर पानी का तरसत हवैं। हैण्डपम्प लगवावैं खातिर प्रधान से कहा जात हवै तौ वा ध्यान नहीं देत आय।
अब सवाल या उठत हवै कि हैण्डपम्प लगवावैं के जिम्मेदारी का प्रधान के नहीं आय। जनता तौ या सोंच के अपने बीच से एक मड़ई का जीतावत हवै कि वा जनता के समस्या का खतम करी? पै सोचै वाली बात या हवै कि जनता वोट दइके प्रधान का चयन कइ लेत हवै, पै प्रधान आपन जिम्मेदारी का काहे नहीं समझत हवै?
अगर प्रधान पानी जइसे के समस्या अउर जमीनी स्तर के रोज मर्रा के जरुरी समस्याओं को खतम करै मा नाकम साबित होत हवैं तौ उनका लोकतंत्र के ढांचा मा शामिल करै का का मतलब हवै?
का प्रधान हैण्डपम्प लगवावैं खातिर बी.डी.ओ. अउर जल निगम मा कत्तौ नहीं कहत हवै या फेर बी.डी.ओ. अउर जल निगम वाले हैण्डपम्प लगवावैं खातिर कोशिश नहीं करत पै चाहे जउन भी कारन होय इनतान मा गांव के जनता बीच मा पिसत हवै। यहै से प्रधान बी.डी.ओ. अउर जल निगम वालेन का पानी जइसे के गम्भीर समस्या का खतम करब जरूरी हवै?
अबै तक काहे ध्यान नहीं दीन गा
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