उत्तर प्रदेश में होने वाले अगले साल के चुनावों की सरगर्मी अभी से तेज हो गई है। 2017 के विधानसभा चुनावों को मद्देनजर रखते हुए भाजपा ने उत्तर प्रदेश के नए भाजपा अध्यक्ष के रूप में केशव प्रसाद मौर्य को चुना है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि उनका चयन जातिगत समीकरणों के तहत हुआ है। लेकिन जिस तरह का उनका अपराधिक रिकॉर्ड है, वह शायद जनता को और भी मुश्किल में डाल सकता है।
केशव प्रसाद मौर्य ने खुद मई 2014 के लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में बताया था कि उनके खिलाफ 10 आपराधिक मामले सामने आये है। जिनमें 302(हत्या) 153(दंगा भड़काना) और 420(धोखाधड़ी) जैसे मामले शामिल थे।
मौर्या 2011 में मोहम्मद गौस हत्याकाण्ड में भी आरोपी थे और इसके लिए वे जेल भी जा चुके हैं। हालांकि इस केस में अभी वे बरी हो चुके हैं।
केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ 10 आपराधिक मामले सामने आये है जिनमें हत्या और दंगा भड़काना जैसे मामले शामिल हैं
उत्तर-प्रदेश की जनता को भारतीय दंड सहित 302 जैसे मामलों से लिप्त एक और पार्टी प्रमुख पा कर कैसा लग रहा है यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता लगेगा, लेकिन इन अपराधियों को नेता बना कर कोई भी पार्टी, फिर वो भाजपा हो या सपा अपनी छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
एक राजनीतिक पार्टी, दूसरी पार्टी की नकल उतार कर जनता तक पहुंचने की जंग में कूद चुकी है। ऐसे में सपा के गांव-गांव जाकर जादू दिखाने वाले खेल की तर्ज पर भाजपा ग्राम स्वीराज अभियान के अंतर्गत ‘पंचायत-पंचायत बैठक’ लायी है।
यहाँ बसपा शायद नदारत है या अभी कुछ और सोच रही है।
लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने 80 सीटों में 71 पर विजयी रही थी, ऐसे में उनकी योजना आने वाले विधानसभा चुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीट लाने की होगी और इसी मंशा को पूरा करने के लिए भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्य पर दांव लगाया है।
खबर लहरिया ब्यूरो