जिला चित्रकूट, ब्लाक रामनगर, गांव इटवा। हिंया के रहैं वाली दुजिया अपने घर का नीेकतान से खर्चा चलावत हवैं। वा प्राथमिक स्कूल मा खाना बनावत हवै। यहै से वा बहुतै खुश हवै।
दुजिया का कहब हवै कि मनसवा महादेव दस बरस से पागल हवै। मोरे छोट छोट चार बच्चा हवैं। पहिले ईंटा गारा करत रहौं। यहिकेे बाद स्कूल मा खाना बनावै लाग हौं।
मड़ई तौ कहत हवै कि बिना मनसवा के मेहरिया घर का खर्चा नहीं चला सकत हवैं। मैं खुदै अपने बच्चन के पढ़ाई लिखाई का खर्चा सम्भालत हौं अउर नून रोटी तेल का खर्चा भी चलावत हौं। का मेहरिया मनसवा से कम हवैं। मेहरिया का अपने हिम्मत अउर मेहनत से मंजिल मिल सकत हवै।
मेहरिया घर अउर बाहर दूनौ कइती समय से आपन काम का देखत हवैं। बिन बाप के बच्चन का पाल भी लेत हवैं। का या एक हिम्मत , मेहनत अउर लगन न होय? इनतान हर मड़ई का सीख मिलत हवै।
अपने हिम्मत से मिलत मंजिल
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